आगरा, 19 अप्रैल 2025, शनिवार: समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज आगरा पहुंचे, जहां उन्होंने पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन से उनके संजय प्लेस स्थित आवास पर मुलाकात की। यह दौरा सपा सांसद रामजीलाल सुमन द्वारा राज्यसभा में मेवाड़ के शासक राणा सांगा को लेकर दिए गए विवादित बयान के बाद उत्पन्न सियासी तूफान के बीच हुआ। इस मुलाकात को सपा की एकजुटता और अपने नेताओं के प्रति मजबूत समर्थन के प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है।
विवाद की शुरुआत: राणा सांगा पर रामजीलाल सुमन का बयान
21 मार्च 2025 को राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान रामजीलाल सुमन ने राणा सांगा को लेकर एक टिप्पणी की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को हराने के लिए मुगल शासक बाबर को भारत आमंत्रित किया था। सुमन ने यह भी कहा कि भारतीय मुसलमान बाबर को अपना आदर्श नहीं मानते, बल्कि वे पैगंबर मुहम्मद और सूफी परंपराओं का अनुसरण करते हैं। इस बयान को उन्होंने औरंगजेब विवाद के संदर्भ में दिया, लेकिन यह तुरंत विवाद का कारण बन गया।
सुमन के इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और क्षत्रिय संगठनों, विशेष रूप से करणी सेना, ने कड़ा विरोध जताया। बीजेपी ने इसे हिंदू समाज और भारतीय इतिहास का अपमान करार दिया, जबकि करणी सेना ने सुमन को “गद्दार” कहने का आरोप लगाकर उनके खिलाफ आक्रामक प्रदर्शन शुरू कर दिए। 26 मार्च को करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने सुमन के आगरा स्थित आवास पर हमला बोला, जिसमें तोड़फोड़ और मारपीट की घटनाएं हुईं। इस हमले के समय सुमन दिल्ली में थे, लेकिन उनके परिवार को निशाना बनाए जाने की खबरों ने सियासी माहौल को और गर्म कर दिया।
करणी सेना का विरोध और क्षत्रिय संगठनों की एकजुटता
राणा सांगा को मेवाड़ का गौरवशाली शासक और वीर योद्धा माना जाता है, जिन्होंने 1508 से 1528 तक मेवाड़ पर शासन किया। सुमन के बयान को क्षत्रिय समुदाय ने अपने सम्मान पर हमला माना। 12 अप्रैल को आगरा के एत्मादपुर में गढ़ी रामी में क्षत्रिय संगठनों ने “रक्त स्वाभिमान सम्मेलन” का आयोजन किया, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इस सम्मेलन में करणी सेना ने तलवारें लहराते हुए सुमन और अखिलेश यादव के खिलाफ नारेबाजी की और उनके बयानों की कड़ी निंदा की।
सुमन ने इस विवाद के बाद भी अपने बयान पर कायम रहने की बात कही। 27 मार्च को उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका मकसद किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था, लेकिन वे अपने बयान से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने करणी सेना को “फर्जी सेना” करार देते हुए चुनौती दी कि वे देश की सीमाओं पर जाकर चीन से लड़ें। सुमन ने मंदिर-मस्जिद विवाद पर भी तीखी टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने कहा, “अगर तुम कहोगे कि हर मस्जिद के नीचे मंदिर है, तो हम कहेंगे कि हर मंदिर के नीचे बौद्ध मठ है। गड़े मुर्दे मत उखाड़ो, वरना भारी पड़ जाएगा।”
अखिलेश यादव का समर्थन और आगरा दौरा
इस पूरे विवाद में अखिलेश यादव ने अपने सांसद का खुलकर समर्थन किया। उन्होंने बीजेपी पर इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर बीजेपी इतिहास के पन्ने पलट सकती है, तो सपा भी इतिहास की बात करेगी। अखिलेश ने सुमन के बयान को ऐतिहासिक संदर्भ में दिया गया तर्क बताया और इसे तुष्टिकरण की राजनीति से जोड़ने की बीजेपी की कोशिशों की आलोचना की।
19 अप्रैल को अखिलेश का आगरा दौरा सपा के लिए एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है। सुबह 11:30 बजे वे सुमन के आवास पर पहुंचे और उनके परिवार से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने 26 मार्च को हुए हमले की जानकारी ली और पार्टी की आगे की रणनीति पर चर्चा की। मुलाकात के बाद अखिलेश ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “रामजीलाल सुमन के घर पर हमला साजिश के तहत किया गया। यह अचानक नहीं हुआ। अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई। मुझे भी गोली मारने की धमकियां दी जा रही हैं।”
अखिलेश ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है और सपा अपने नेताओं के सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए कहा कि सपा की “PDA” (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) रणनीति को और मजबूत किया जाएगा।
सुरक्षा व्यवस्था और सियासी माहौल
अखिलेश के दौरे से पहले आगरा में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। हरीपर्वत चौराहे से स्पीड कलर लैब तक पुलिस और पीएसी की तैनाती की गई। संजय प्लेस में सुमन के आवास के आसपास बैरियर लगाए गए और बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक लगाई गई। डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने बताया कि शहर की सीमाओं पर पुलिस बल तैनात है और सोशल मीडिया पर भी निगरानी रखी जा रही है। सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों को भी तैनात किया गया ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।
सपा कार्यकर्ताओं में अखिलेश के दौरे को लेकर उत्साह का माहौल था। सुमन ने इस मुलाकात को भावनात्मक और राजनीतिक समर्थन से जोड़ा। उन्होंने कहा, “अखिलेश जी हमसे मिलने आ रहे हैं। पूरी घटना पर मुझसे बात करेंगे। 2027 आने दीजिए, हम देख लेंगे।”
सियासी निहितार्थ
अखिलेश यादव का यह दौरा न केवल रामजीलाल सुमन के प्रति समर्थन का प्रतीक है, बल्कि सपा की राजनीतिक रणनीति को भी दर्शाता है। सपा अपने दलित और पिछड़े वर्ग के वोट बैंक को मजबूत करने के साथ-साथ बीजेपी पर हमलावर रुख अपनाकर विपक्षी एकता को बल देना चाहती है। राणा सांगा विवाद ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है, जहां इतिहास, जाति और धर्म के मुद्दे एक बार फिर सियासी बहस का केंद्र बन गए हैं।
इस बीच, बीजेपी और क्षत्रिय संगठन सुमन से माफी की मांग कर रहे हैं। बीजेपी नेता राजवीर सिंह ने कहा कि सुमन का बयान इरादतन और हिंदू समाज के खिलाफ है। दूसरी ओर, सपा ने इस मुद्दे को इतिहास के तथ्यों के आधार पर उठाने का दावा किया है।
2027 की राह में अखिलेश का मास्टरस्ट्रोक: आगरा दौरा और राणा सांगा विवाद की सियासी धार
अखिलेश यादव का आगरा दौरा और रामजीलाल सुमन से मुलाकात सपा के लिए एक महत्वपूर्ण सियासी कदम है। यह न केवल पार्टी की एकजुटता को दर्शाता है, बल्कि बीजेपी के खिलाफ आक्रामक रुख को भी रेखांकित करता है। राणा सांगा विवाद ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई हलचल मचाई है, और आने वाले दिनों में यह मुद्दा और तूल पकड़ सकता है। सपा और बीजेपी के बीच इतिहास और जाति के मुद्दों पर यह टकराव 2027 के विधानसभा चुनावों की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है।