नई दिल्ली, 18 अप्रैल 2025, शुक्रवार: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों ब्राजील में ब्रिक्स देशों की 15वीं कृषि मंत्रियों की बैठक में हिस्सा ले रहे हैं। इस दौरान उन्होंने ब्राजील की उन्नत खेती, अत्याधुनिक मशीनीकरण और स्मार्ट सिंचाई तकनीकों का नजदीक से अवलोकन किया। सोयाबीन उत्पादन संयंत्रों से लेकर टमाटर और मक्का के विशाल खेतों तक, चौहान ने भारतीय किसानों के लिए नई संभावनाएं तलाशने का संकल्प लिया। उनका यह दौरा न केवल भारत-ब्राजील कृषि सहयोग को मजबूत करने का अवसर है, बल्कि भारतीय खेती को वैश्विक स्तर पर ले जाने की एक प्रेरणादायक पहल भी है।
सोयाबीन और प्रोसेसिंग में नई उम्मीद
ब्राजील के सोयाबीन उत्पादन संयंत्र का दौरा करते हुए शिवराज सिंह ने भारत में इस फसल के विकास पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा, “भारत में सोयाबीन उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ प्रोसेसिंग में भी क्रांति लानी होगी।” वर्तमान में भारत ब्राजील से सोया तेल आयात करता है, लेकिन चौहान ने इसे एक अवसर में बदलने की बात कही। “हम ब्राजील के साथ मिलकर भारत में सोया प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित कर सकते हैं। इससे न केवल आयात कम होगा, बल्कि भारत से सोया तेल का निर्यात भी संभव होगा।” इसके लिए ब्राजील से निवेश और तकनीकी सहयोग की दिशा में ठोस कदम उठाने की योजना है।

मशीनीकरण और बीज अनुसंधान में सहयोग
ब्राजील में खेती में 100% मशीनीकरण ने चौहान का ध्यान खींचा। कपास की कटाई से लेकर मक्का और टमाटर की खेती तक, हर प्रक्रिया मशीनों के जरिए होती है। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के साथ मिलकर उच्च गुणवत्ता वाले बीज विकसित करने की जरूरत पर जोर दिया। “ब्राजील के शोध और तकनीक से सीखकर हम अपने किसानों के लिए बेहतर बीज और तकनीक विकसित कर सकते हैं,” उन्होंने कहा। मक्का की खेती में ब्राजील की प्रति हेक्टेयर 22 टन की पैदावार को देखकर वे आश्चर्यचकित हुए और इसे भारत में लागू करने की संभावनाएं तलाशने का वादा किया।
टमाटर और मक्का के खेतों से प्रेरणा
ब्राजील के कृषि मंत्री के साथ टमाटर के विशाल खेतों का दौरा करते हुए चौहान ने वहां की स्मार्ट खेती को समझा। हजारों हेक्टेयर में फैली टमाटर की खेती में अलग-अलग किस्में देखकर उन्होंने वायरस-प्रतिरोधी प्रजातियों पर ध्यान दिया। मक्का की खेती और उसकी असाधारण पैदावार ने भी उन्हें प्रभावित किया। सबसे खास थी ब्राजील की स्मार्ट सिंचाई प्रणाली। “यहां एक मशीन में यूरिया का टैंक होता है, जो पानी में घुलकर स्प्रिंकलर के जरिए पौधों तक पहुंचता है। पानी और पोषक तत्वों की मात्रा पूरी तरह नियंत्रित होती है, जिससे कम पानी में अधिक उत्पादन होता है,” चौहान ने उत्साह से बताया। उन्होंने भारत में ऐसी तकनीकों को अपनाने की संभावनाओं पर जोर दिया।

भारत-ब्राजील साझेदारी: वैश्विक खाद्य सुरक्षा की दिशा में
चौहान ने ब्राजील से एक प्रतिनिधिमंडल को भारत आने का न्योता दिया, ताकि दोनों देश मिलकर कृषि, व्यापार और तकनीक के क्षेत्र में नई संभावनाएं तलाश सकें। “भारत और ब्राजील मिलकर न केवल अपनी, बल्कि पूरी दुनिया की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं,” उन्होंने कहा। भारत पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में खाद्य सुरक्षा हासिल कर चुका है और अब कई देशों को अनाज निर्यात कर रहा है। चौहान का मानना है कि ब्राजील के साथ सहयोग से मशीनीकरण, बीज अनुसंधान, खाद्य प्रसंस्करण और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाए जा सकते हैं।
वसुधैव कुटुंबकम: दुनिया एक परिवार
“वसुधैव कुटुंबकम” के भारतीय दर्शन को दोहराते हुए चौहान ने कहा कि भारत और ब्राजील का यह सहयोग वैश्विक एकता का प्रतीक है। “हम न केवल अपनी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे, बल्कि दुनिया को भी भूख से मुक्त करने में योगदान देंगे।” ब्राजील की उन्नत तकनीकों और भारत की मेहनती किसान शक्ति के संयोजन से दोनों देश कृषि के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर सकते हैं।

आगे की राह
शिवराज सिंह चौहान का ब्राजील दौरा भारतीय किसानों के लिए एक नई प्रेरणा है। सोयाबीन प्रोसेसिंग से लेकर स्मार्ट सिंचाई और मशीनीकरण तक, उन्होंने जो सीखा, वह भारत की खेती को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है। ब्राजील के साथ साझेदारी और तकनीकी आदान-प्रदान से भारतीय किसानों को न केवल बेहतर उत्पादन, बल्कि वैश्विक बाजार में भी नई पहचान मिलेगी। यह दौरा साबित करता है कि भारत की खेती अब सिर्फ परंपराओं तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक नवाचारों के साथ कदमताल करने को तैयार है।