गाजियाबाद, 18 अप्रैल 2025, शुक्रवार। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद, जहां अपराध की दुनिया में एक नाम सालों से गूंज रहा है—शेखर जाट। हत्या, लूट और संगीन अपराधों के 60 मुकदमों का बोझ ढोने वाला यह कुख्यात गैंगस्टर जेल की सलाखों के पीछे रहकर भी अपने काले कारनामों को अंजाम दे रहा है। 2016 में भाजपा नेता बृजपाल तेवतिया पर AK-47 से हुए जानलेवा हमले के मामले में जेल में बंद शेखर ने न केवल अपने गैंग को ऑपरेट किया, बल्कि वरिष्ठ पत्रकार अनुज चौधरी पर 20 लाख की सुपारी देकर भाड़े के शूटरों से हमला करवाया। अब उसकी हिम्मत इतनी बढ़ गई है कि कोर्ट के अंदर वीडियो बनवाकर, बदमाशी के गाने बजाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर रहा है। सवाल यह है—आखिर कहां से आ रही है शेखर को ऐसी हिम्मत? और इस साजिश के पीछे का सच क्या है?
जेल से साजिश का जाल
शेखर जाट की कहानी किसी बॉलीवुड क्राइम थ्रिलर से कम नहीं। 2016 में मुरादनगर में भाजपा नेता बृजपाल तेवतिया पर AK-47 और अन्य अत्याधुनिक हथियारों से 100 से ज्यादा राउंड फायरिंग का मामला हो या 2018 में पत्रकार अनुज चौधरी पर जानलेवा हमला, शेखर ने जेल की दीवारों को अपनी आपराधिक सल्तनत का अड्डा बना लिया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अनुज पर हमले की साजिश डासना जेल में रची गई, जहां शेखर ने अपने पूर्व पड़ोसी होने का फायदा उठाते हुए कॉन्ट्रैक्ट किलर्स को 20 लाख की सुपारी दी। इस हमले में अनुज गंभीर रूप से घायल हो गए और कई दिनों तक वेंटिलेटर पर रहे।
कोर्ट में वीडियो, सोशल मीडिया पर तमाशा
शेखर की बुलंद हिम्मत का आलम यह है कि उसने कोर्ट के अंदर वीडियो बनवाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। बदमाशी भरे गानों के साथ यह वीडियो न केवल उसकी दबंगई का प्रतीक है, बल्कि एक खतरनाक संदेश भी देता है—कानून और व्यवस्था को उसकी परवाह नहीं। उसके साथ कोर्ट में उसका हिस्ट्रीशीटर बेटा भी खड़ा दिखा, जो इस आपराधिक साम्राज्य का नया वारिस बनता नजर आ रहा है। यह सवाल उठता है कि कोर्ट जैसी पवित्र जगह पर इस तरह की हरकत की हिम्मत शेखर को कहां से मिली? क्या इसके पीछे कुछ तथाकथित पत्रकारों और अधिकारियों की सेटिंग है, जैसा कि आरोप लगाए जा रहे हैं?
पत्रकारों पर निशाना, फर्जी मुकदमों का खेल
शेखर की साजिशें यहीं नहीं रुकीं। जेल में बैठकर उसने अपने गुर्गों के जरिए पत्रकारों के खिलाफ फर्जी प्रार्थना पत्र दाखिल करवाए और मुकदमे दर्ज कराए। यह साफ तौर पर अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने और पत्रकारों को डराने की कोशिश है। 2023 में मुरादनगर में मोबाइल शॉप संचालक मुकेश गोयल की हत्या के मामले में भी शेखर का नाम सामने आया, जहां पुलिस ने उसके शूटर मोनू पर शक जताया। शेखर की दहशत इतनी है कि मृतक के परिजन तक खुलकर बोलने से डरते हैं।
कैसे बुलंद हुए शेखर के हौसले?
शेखर की बेलगाम हरकतों के पीछे कई सवाल उठते हैं। क्या कुछ भ्रष्ट अधिकारियों और तथाकथित पत्रकारों की मिलीभगत ने उसके हौसले बुलंद किए? कोर्ट में वीडियो बनवाने और वायरल करने की घटना सिस्टम की कमजोरियों को उजागर करती है। जेल से गैंग ऑपरेट करने, सुपारी देकर हमले करवाने और फर्जी मुकदमों का जाल बुनने के लिए न केवल पैसे की जरूरत होती है, बल्कि एक मजबूत नेटवर्क की भी। शेखर का यह नेटवर्क आखिर कैसे फल-फूल रहा है?
कानून पर सवाल, जांच की मांग
शेखर जाट की इन हरकतों ने गाजियाबाद की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। पत्रकारों को निशाना बनाना, कोर्ट में बदमाशी का तमाशा और फर्जी मुकदमों का खेल—यह सब एक सुनियोजित साजिश की ओर इशारा करता है। इस मामले की गहन जांच की जरूरत है ताकि शेखर के नेटवर्क का पर्दाफाश हो और उसके मददगारों को बेनकाब किया जाए। अगर समय रहते इस अपराधी के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह गाजियाबाद की शांति और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।
आगे क्या?
शेखर जाट का मामला न केवल एक अपराधी की कहानी है, बल्कि सिस्टम की खामियों और अपराधियों के बढ़ते हौसलों की तस्वीर भी पेश करता है। क्या पुलिस और प्रशासन इस कुख्यात गैंगस्टर के खिलाफ निर्णायक कदम उठाएंगे? क्या कोर्ट में वीडियो बनाने और वायरल करने की घटना की जांच होगी? और सबसे बड़ा सवाल—क्या पत्रकारों की आवाज को दबाने की साजिश का पर्दाफाश होगा? गाजियाबाद की जनता और कानून के रखवालों को अब इस चुनौती का जवाब देना होगा।