वाराणसी, 17 अप्रैल 2025, गुरुवार। वाराणसी में हाल ही में आई आंधी और बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। जिले के 431 किसानों ने अपनी फसलों को हुए नुकसान का दावा पेश किया है। इस संकट के बीच, मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) हिमांशु नागपाल ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी को निर्देश दिए हैं कि फसलों का सर्वे जल्द से जल्द पूरा कर किसानों को मुआवजा प्रदान किया जाए।
किसानों के लिए जरूरी सूचना
सीडीओ ने किसानों से आग्रह किया है कि दैवीय आपदा से फसल क्षति होने पर 72 घंटे के भीतर टोल-फ्री नंबर 14447 पर शिकायत दर्ज करें। अगर कोई परेशानी हो, तो उप कृषि निदेशक या जिला कृषि अधिकारी कार्यालय में लिखित शिकायत करें। यह कदम सुनिश्चित करता है कि किसानों की आवाज समय पर सुनी जाए और उन्हें उचित सहायता मिले।
किसानों के लिए राहत योजनाएं
उद्यान विभाग ने किसानों को नई उम्मीद दी है। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत किसान खाद्य प्रसंस्करण से जुड़ा कोई भी उद्योग शुरू कर सकते हैं। इसमें परियोजना लागत का 35% (अधिकतम 10 लाख रुपये) अनुदान के रूप में मिलेगा। साथ ही, छुट्टा पशुओं से फसलों की रक्षा के लिए सब्जी, फल, और फूल की खेती करने वाले किसानों को फेंसिंग योजना में 50% अनुदान की सुविधा दी जा रही है।
29 पेड़ों की कटाई पर सख्ती
प्राकृतिक संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए शासन ने 29 प्रकार के पेड़ों—जैसे आम, नीम, पीपल, बरगद, जामुन, शीशम, और सागौन—की कटाई पर प्रतिबंध लगाया है। इन पेड़ों को बिना अनुमति काटना अब गैरकानूनी होगा, जिससे पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
अधिकारियों पर गिरी गाज
किसानों की समस्याओं पर लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई हुई है। हरहुआ, काशी विद्यापीठ, पिंडरा, चोलापुर, और चिरईगांव के किसानों ने छुट्टा पशुओं की समस्या उठाई, लेकिन उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. पवन कुमार सिंह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। नतीजतन, उनका अप्रैल का वेतन रोक दिया गया।
इसी तरह, भोपापुर गांव के किसान सुभाष चंद्र वर्मा ने शिकायत की कि उनके एक किलोवाट के घरेलू कनेक्शन का बिल गलती से पांच किलोवाट का आ रहा है। इस पर कोई स्पष्ट जवाब न देने के कारण अधिशासी अभियंता विद्युत हेमंत कुमार का भी अप्रैल का वेतन रोकने का आदेश दिया गया।
आगे की राह
वाराणसी प्रशासन किसानों के हित में त्वरित और प्रभावी कदम उठा रहा है। मुआवजे से लेकर अनुदान योजनाओं तक, सरकार का फोकस किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने पर है। साथ ही, अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित कर यह संदेश दिया जा रहा है कि किसानों की हर समस्या का समाधान प्राथमिकता है।