प्रयागराज, 15 अप्रैल 2025: कभी प्रयागराज की गलियों में खौफ का दूसरा नाम रहे अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ की हत्या को आज दो साल पूरे हो गए। 15 अप्रैल 2023 को पुलिस कस्टडी में हुई इस सनसनीखेज वारदात ने न सिर्फ एक माफिया साम्राज्य को ध्वस्त किया, बल्कि उनके परिवार को भी बिखरने के कगार पर ला खड़ा किया। आज उनकी दूसरी बरसी पर कसारी मसारी कब्रिस्तान में पसरा सन्नाटा बदले वक्त की कहानी बयां करता है। न फूल, न कोई मातमी, बस खामोशी और वीरानी।
खौफ का अंत और परिवार का पतन
अतीक और अशरफ की हत्या से ठीक दो दिन पहले, 13 अप्रैल 2023 को उनके बेटे असद का झांसी में पुलिस मुठभेड़ में अंत हुआ था। तीनों को कसारी मसारी कब्रिस्तान में एक साथ दफनाया गया, लेकिन आज वहां कोई चेहरा नजर नहीं आता। अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन फरार हैं, जिन पर 50 हजार का इनाम है। अशरफ की पत्नी जैनब फातिमा और बहन आयशा नूरी भी 25-25 हजार के इनाम के साथ पुलिस की पकड़ से दूर हैं। परिवार के ज्यादातर सदस्य या तो जेल की सलाखों के पीछे हैं या फिर गायब।
उमेश पाल हत्याकांड और उसकी गूंज
इस कहानी की शुरुआत 24 फरवरी 2023 को हुई, जब बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल और उनके दो गनरों की निर्मम हत्या कर दी गई। इस वारदात ने अतीक और अशरफ के खिलाफ माहौल को और गरम कर दिया। उमेश पाल की हत्या के बाद पुलिस ने अतीक और अशरफ को काल्विन अस्पताल ले जाते वक्त कस्टडी में गोली मार दी गई। तीनों शूटर्स—लवलेश तिवारी, अरुण मौर्य और सनी सिंह—उसी वक्त गिरफ्तार हुए। आज वे चित्रकूट और आगरा की जेलों में बंद हैं।
कानूनी जंग: अभी रास्ता लंबा
अतीक-अशरफ हत्याकांड का मुकदमा प्रयागराज की जिला कोर्ट में चल रहा है। 13 जुलाई 2023 को तीनों शूटर्स के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई, जिसमें हत्या, साजिश और आर्म्स एक्ट जैसी धाराएं शामिल हैं। 10 दिसंबर 2024 को आरोप तय हुए, लेकिन सुनवाई धीमी रफ्तार से चल रही है। अब तक 48 तारीखें गुजर चुकी हैं, मगर पहले गवाह की जिरह भी पूरी नहीं हो सकी। वकीलों की गैरमौजूदगी और आरोपियों की पेशी में देरी ने केस को उलझाए रखा है। अगली सुनवाई 21 अप्रैल को फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी।
फरार अपराधी और पुलिस की तलाश
उमेश पाल हत्याकांड में शामिल बमबाज गुड्डू मुस्लिम, साबिर और अरमान बिहारी भी फरार हैं। इन तीनों पर 5-5 लाख का इनाम है। पुलिस की टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं, लेकिन ये अपराधी अब तक कानून की पहुंच से बाहर हैं।
सूनी कब्रें, बिखरा खानदान
दो साल पहले तक अतीक और अशरफ का नाम सुनकर लोग सिहर उठते थे। आज उनका परिवार टूट चुका है। बेटे जेल में, पत्नियां फरार, और कब्रें वीरान। प्रयागराज की हवाएं बदल चुकी हैं। एक दौर था जब अतीक का रुतबा आसमान छूता था, लेकिन आज उनकी कहानी सिर्फ एक सबक बनकर रह गई है—खौफ की कोई उम्र नहीं होती, मगर उसका अंत जरूर होता है।