भोपाल, 15 अप्रैल 2025, मंगलवार: बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का नाम भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि बाबा साहेब ने 20वीं सदी में ऐसे क्रांतिकारी कार्य किए, जिन्होंने सहस्राब्दियों की गुलामी की जंजीरों को तोड़ा और भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनाया। उनके बहुआयामी योगदान ने न केवल सामाजिक समरसता को बढ़ावा दिया, बल्कि शिक्षा और सशक्तिकरण की नई राह भी दिखाई।
शिक्षा और संघर्ष की मिसाल
मुख्यमंत्री ने बाबा साहेब के जीवन को प्रेरणा का स्रोत बताते हुए कहा, “डॉ. अंबेडकर का जीवन कठिनाइयों से भरा था, लेकिन उन्होंने संघर्ष को अपनी ताकत बनाया। अपनी शिक्षा में कोई कमी नहीं छोड़ी और दूसरों को भी शिक्षित होने का मार्ग दिखाया।” बाबा साहेब ने समाज के हर वर्ग को आरक्षण की व्यवस्था दी, जिसके परिणामस्वरूप आज अनुसूचित जाति की साक्षरता दर 1.5% से बढ़कर 59% तक पहुंच गई है। उनके द्वारा रचित मजबूत संविधान ने देश को लोकतंत्र का अमर तोहफा दिया।
पंच तीर्थ और भीम जन्मभूमि का विकास
डॉ. यादव ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा साहेब से जुड़े स्थानों को पंच तीर्थ के रूप में मान्यता देकर उनकी विरासत को सम्मान दिया। महू की भीम जन्मभूमि को तीर्थ के रूप में विकसित करने में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों सुंदरलाल पटवा और शिवराज सिंह चौहान का योगदान उल्लेखनीय रहा। राज्य सरकार अब महू में 3.5 एकड़ जमीन पर धर्मशाला बनाएगी, ताकि श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिलें।
नए भारत की नई पहल
मुख्यमंत्री ने बाबा साहेब की प्रेरणा से शुरू की गई योजनाओं का जिक्र किया। “डॉ. अंबेडकर कामधेनु योजना के तहत अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लोगों को दूध डेयरी खोलने पर 30% अनुदान दिया जाएगा।” इसके अलावा, केंद्र सरकार ने महू को दिल्ली से जोड़ने वाली नई ट्रेन शुरू की है, जिससे मालवा क्षेत्र के इंदौर, उज्जैन और देवास को भी लाभ होगा।
वैश्विक मंच पर बाबा साहेब
डॉ. यादव ने लंदन में बाबा साहेब के स्मारक का उल्लेख करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से वहां तीर्थ का निर्माण हुआ, जहां बाबा साहेब ने शिक्षा ग्रहण की थी।” उन्होंने धारा 370 को हटाने के फैसले को भी बाबा साहेब की सोच से जोड़ा, जिन्होंने इस धारा को कभी स्वीकार नहीं किया था।
विश्व में सर्वाधिक शिक्षित व्यक्तित्व
वरिष्ठ प्रचारक मुकुल कानिटकर ने बाबा साहेब को “क्रांति सूर्य” करार देते हुए कहा, “27 वर्ष की आयु में उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की। उनकी पीएचडी और समाजशास्त्र व मानवशास्त्र में एमए ने उन्हें उस समय विश्व का सर्वाधिक डिग्रीधारी व्यक्ति बनाया।” कानिटकर ने जोर देकर कहा कि बाबा साहेब किसी एक जाति या धर्म के नहीं, बल्कि सर्वसमाज के नेता थे। उन्होंने रूढ़ियों को तोड़ा और समाज को सकारात्मक ऊर्जा दी।
सामाजिक न्याय का नया अध्याय
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री और अतिथियों ने ‘संवैधानिक सामाजिक न्याय एवं चिंतन’ पुस्तक का विमोचन किया। केंद्रीय मंत्री सावित्री ठाकुर, सांसद कविता पाटीदार, पूर्व मंत्री ऊषा ठाकुर सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे।
एक प्रेरक विरासत
बाबा साहेब का जीवन और विचार आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं। शिक्षा, समानता और सामाजिक सशक्तिकरण के उनके संदेश ने भारत को नई दिशा दी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का यह प्रयास बाबा साहेब की विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने और सर्वहारा वर्ग के उत्थान का संकल्प दर्शाता है। यह न केवल एक श्रद्धांजलि है, बल्कि एक नए, सशक्त भारत की नींव भी है।