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Saturday, June 28, 2025

मोबाइल की लत से मुक्ति: प्रयागराज का अनोखा पालना गृह

प्रयागराज, 13 अप्रैल 2025, रविवार। आज के दौर में मोबाइल की चमक ने बच्चों के बचपन को छीन लिया है। खासकर, कामकाजी महिलाएं, जो समय की कमी से जूझती हैं, अनजाने में अपने बच्चों को मोबाइल थमा देती हैं। लेकिन प्रयागराज में एक ऐसी पहल शुरू हुई है, जो न सिर्फ बच्चों को इस लत से बचाएगी, बल्कि उन्हें ममता और संस्कारों की छांव भी देगी।

प्रयागराज पुलिस लाइन में बना पालना गृह महिला पुलिसकर्मियों के लिए एक वरदान है। यहां मोबाइल की “नो एंट्री” है। बच्चे न टिमटिमाती स्क्रीन देखेंगे, न गाने सुनेंगे। उनकी दुनिया में अब यशोदा मां की लोरियां गूंजेंगी, जो उन्हें कान्हा की तरह लाड़-प्यार से पालेंगी। यह पालना गृह पुलिस लाइन की एनसीआर बिल्डिंग के पहले माले पर बनाया गया है, जहां रंग-बिरंगे खिलौनों, किताबों और चार्ट्स से सजा एक एयर-कंडीशन हॉल बच्चों का इंतजार करता है।

महिला पुलिसकर्मियों के लिए ड्यूटी और मातृत्व के बीच संतुलन बनाना आसान नहीं। मातृत्व अवकाश खत्म होने के बाद बच्चे को साथ लेकर ड्यूटी करना चुनौती भरा होता है। कुछ समय पहले सीएम योगी आदित्यनाथ की जनसभा में एक महिला सिपाही को बच्चे के साथ ड्यूटी करते देख यह मुद्दा सुर्खियों में आया था। इसके बाद इस पालना गृह की नींव पड़ी।

यहां बच्चों के लिए हर सुविधा है—खाने को टॉफी-चॉकलेट, खेलने को खिलौने, और सीखने को किताबें। उम्र के हिसाब से संसाधन जुटाए गए हैं, ताकि बच्चे नन्हे मन से दुनिया को समझ सकें। दीवारों पर रंगीन चार्ट्स और किताबें बेसिक शिक्षा का आधार देती हैं। खास बात यह है कि बच्चों की देखभाल करने वाली महिला पुलिसकर्मियों को निर्देश है कि वे बच्चों को मां की तरह प्यार दें, लोरियां सुनाएं, और संस्कारों का बीज बोएं।

24 घंटे दो महिला पुलिसकर्मी यहां तैनात रहती हैं, जो बच्चों की हर छोटी-बड़ी जरूरत का ख्याल रखती हैं। शिफ्ट इंचार्ज सुलेखा बताती हैं, “हमने इस पालना गृह को मोबाइल-मुक्त बनाया है। न बच्चे मोबाइल देखेंगे, न हम इस्तेमाल करेंगे।” यह नियम बच्चों को मोबाइल की लत से बचाने का एक मजबूत कदम है।

महिला पुलिसकर्मी प्रतिभा यादव कहती हैं, “अब बच्चों को यहां छोड़कर मन को सुकून मिलता है। मुझे भरोसा है कि वे मोबाइल की दुनिया से दूर, प्यार और सीख के माहौल में बड़े होंगे।” यह पालना गृह न सिर्फ बच्चों को बेहतर बचपन दे रहा है, बल्कि कामकाजी मांओं को भी बिना चिंता ड्यूटी करने की आजादी।

प्रयागराज का यह पालना गृह एक मिसाल है—मोबाइल की लत से आजादी और ममता से भरे बचपन की शुरुआत। क्या हम सब इसके लिए एक कदम नहीं उठा सकते?

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