नई दिल्ली, 12 अप्रैल 2025, शनिवार। काकीनाडा, आंध्र प्रदेश के तट पर 11 अप्रैल 2025 को एक ऐतिहासिक क्षण तब दर्ज हुआ, जब भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच द्विपक्षीय त्रि-सेवा मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) अभ्यास, टाइगर ट्रायम्फ 2025, का चौथा संस्करण विशिष्ट आगंतुक (डीवी) दिवस के साथ भव्य समापन के साथ संपन्न हुआ। यह अभ्यास न केवल दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच गहरे तालमेल और सहयोग का प्रतीक बना, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और आपदा प्रबंधन में उनकी साझा प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया।
डीवी दिवस: संयुक्त शक्ति का प्रदर्शन
डीवी दिवस का आयोजन काकीनाडा में हुआ, जहां भारत और अमेरिका के सशस्त्र बलों ने अपनी संयुक्त युद्ध क्षमता और तकनीकी दक्षता का शानदार प्रदर्शन किया। इस अवसर पर फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग तमिलनाडु और पुडुचेरी नौसेना क्षेत्र (एफओटीएनए), अमेरिकी महावाणिज्य दूत, कमांडर यूएस नेवी स्ट्राइक ग्रुप फाइव, और डिप्टी जीओसी 54 इन्फैंट्री डिवीजन जैसे गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की।
दिन की शुरुआत जटिल ऑपरेशनों के प्रदर्शन के साथ हुई, जिसमें स्टैंडऑफ और हार्ड बीचिंग, विशेष ऑपरेशन बलों द्वारा एमआई17वी5 हेलीकॉप्टरों से स्लिथरिंग ऑप्स, सी130 एयरक्राफ्ट की भागीदारी, और भारतीय नौसेना, सेना, वायु सेना के साथ-साथ अमेरिकी नौसेना, सेना और मरीन कॉर्प्स द्वारा एकीकृत हवाई ऑपरेशन शामिल थे। इन ऑपरेशनों ने दोनों देशों के बीच संयुक्त कौशल, तकनीकी समन्वय और अंतर-संचालन की उच्च डिग्री को दर्शाया। यह प्रदर्शन न केवल सैन्य दक्षता का प्रतीक था, बल्कि मानवीय सहायता और आपदा प्रबंधन में दोनों देशों की तत्परता को भी उजागर करता था।
टाइगर ट्रायम्फ का सफर: 2019 से 2025 तक
टाइगर ट्रायम्फ की शुरुआत 2019 में हुई थी, जब इसका प्राथमिक उद्देश्य रसद विनिमय समझौता ज्ञापन (LEMOA) के तहत परिचालन तालमेल को मजबूत करना और दोनों देशों की सेनाओं के बीच उभरती प्रौद्योगिकियों का एकीकरण करना था। तब से, यह अभ्यास हर साल नई ऊंचाइयों को छू रहा है। 2025 का संस्करण 01 से 11 अप्रैल तक आयोजित किया गया, जिसमें दोनों देशों के सशस्त्र बलों ने एचएडीआर ऑपरेशनों में प्रशिक्षण प्राप्त किया और एक-दूसरे की क्षमताओं, तकनीकों और प्रक्रियाओं से परिचित हुए। यह अभ्यास दो चरणों में आयोजित हुआ: हार्बर चरण और समुद्री चरण, जिन्होंने दोनों देशों के बीच सहयोग को और गहरा किया।
हार्बर चरण: विशाखापत्तनम में नींव
01 से 07 अप्रैल तक विशाखापत्तनम में आयोजित हार्बर चरण की शुरुआत आईएनएस जलाश्व पर एक भव्य उद्घाटन समारोह के साथ हुई। इस समारोह में अमेरिकी दूतावास के प्रभारी जोर्गन के. एंड्रयूज और पूर्वी नौसेना कमान के चीफ ऑफ स्टाफ वाइस एडमिरल समीर सक्सेना ने हिस्सा लिया। इस चरण में प्री-सेल कॉन्फ्रेंस, मेडिकल, ड्रोन, अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में विषय वस्तु विशेषज्ञ आदान-प्रदान (एसएमईई), क्रॉस-डेक दौरे, जहाज पर चढ़ने की ड्रिल और मैत्रीपूर्ण खेल आयोजन शामिल थे।
ये गतिविधियां न केवल तकनीकी और रणनीतिक स्तर पर सहयोग को बढ़ावा देती हैं, बल्कि दोनों देशों के सैनिकों के बीच आपसी भाईचारे और सांस्कृतिक समझ को भी मजबूत करती हैं।
समुद्री चरण: काकीनाडा में एक्शन
08 से 11 अप्रैल तक काकीनाडा के तट पर आयोजित समुद्री चरण में दोनों देशों ने अपनी समुद्री और उभयचर क्षमताओं का प्रदर्शन किया। इस चरण में जटिल समुद्री ऑपरेशन, विमानों की क्रॉस-डेक लैंडिंग, काकीनाडा में सैनिकों की लैंडिंग और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की गतिविधियां शामिल थीं।
एचएडीआर अभ्यास के तहत, एक संयुक्त समन्वय केंद्र (सीसीसी) की स्थापना की गई, जो बड़े पैमाने पर संयुक्त अभियानों के समन्वय के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ। इसके साथ ही, भारतीय रैपिड एक्शन मेडिकल टीम (आरएएमटी) और उनके अमेरिकी समकक्षों ने मिलकर एक संयुक्त राहत और चिकित्सा शिविर स्थापित किया, जो आपदा प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित चिकित्सा सहायता प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक सहयोग का प्रतीक
टाइगर ट्रायम्फ 2025 केवल एक सैन्य अभ्यास नहीं है; यह भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक है। यह अभ्यास क्षेत्रीय स्थिरता, आपदा प्रतिक्रिया सहयोग, और दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच अंतर-संचालन को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस अभ्यास ने दोनों देशों को प्राकृतिक आपदाओं और मानवीय संकटों से निपटने के लिए अपनी संयुक्त तैयारियों को परखने का अवसर प्रदान किया। साथ ही, यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समावेशी सहयोग के लिए दोनों देशों की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
एकता में शक्ति
टाइगर ट्रायम्फ 2025 का समापन न केवल एक सैन्य उपलब्धि है, बल्कि दो लोकतांत्रिक देशों के बीच आपसी विश्वास और सहयोग की जीत है। काकीनाडा के तट पर प्रदर्शित संयुक्त ऑपरेशनों ने यह स्पष्ट कर दिया कि जब भारत और अमेरिका एक साथ आते हैं, तो उनकी संयुक्त शक्ति न केवल युद्धक्षेत्र में, बल्कि मानवीय सहायता और आपदा प्रबंधन में भी अभूतपूर्व परिणाम दे सकती है।
यह अभ्यास हमें याद दिलाता है कि एकता में ही शक्ति है। टाइगर ट्रायम्फ 2025 ने न केवल दोनों देशों के सैनिकों को एक-दूसरे के करीब लाया, बल्कि विश्व को यह संदेश भी दिया कि भारत और अमेरिका मिलकर किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।