वाराणसी, 11 अप्रैल 2025, शुक्रवार। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की पावन धरती पर, जहां ज्ञान और संस्कृति का अनूठा संगम है, वहां IIT-BHU के राजपूताना हॉस्टल में स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारे में वैशाखी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। यह परंपरा कोई नई नहीं, बल्कि 1927 से चली आ रही है, जब इस गुरुद्वारे की नींव महामना पंडित मदनमोहन मालवीय जी के आशीर्वाद और संत अत्तर सिंह मस्तुआना के पवित्र हाथों से रखी गई थी। तब से हर साल यह स्थान वैशाखी के रंग में डूब जाता है, जहां सिख समुदाय के साथ-साथ विभिन्न धर्मों और जातियों के लोग एकजुट होकर उत्सव की खुशियां बांटते हैं।
इस साल भी गुरुद्वारे में तीन दिनों तक चलने वाले भव्य आयोजन की शुरुआत श्री अखंड पाठ साहिब के साथ हुई। अरदास और कीर्तन की मधुर स्वरलहरियों ने वातावरण को भक्ति और शांति से सराबोर कर दिया। यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह एकता और समरसता का प्रतीक बनकर उभरा। BHU के छात्र, शिक्षक, कर्मचारी और आसपास के श्रद्धालु इस उत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं, जिससे यह पर्व और भी खास हो जाता है।
गुरुद्वारे के अध्यक्ष प्रो. एसएम सिंह और अतिथि डॉ. जसमीत ने बताया कि इस गुरुद्वारे की स्थापना में महामना मालवीय जी की दूरदर्शिता और संत अत्तर सिंह जी का आशीर्वाद शामिल है। यह स्थान न केवल सिख समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि सभी धर्मों के लोगों के लिए एक साझा आस्था का केंद्र है। वैशाखी के दौरान यहां आने वाले हर भक्त को लंगर के रूप में भोजन परोसा जाता है, जो सेवा और समानता की भावना को दर्शाता है।
तीन दिनों तक चलने वाला यह उत्सव न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का केंद्र है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समृद्धि का भी जीवंत उदाहरण है। राजपूताना गुरुद्वारा, जो BHU की पावन बगिया का अभिन्न हिस्सा है, हर साल वैशाखी के अवसर पर यह संदेश देता है कि प्रेम, सेवा और भाईचारा ही सच्ची आध्यात्मिकता का आधार है। यह पर्व सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि एक ऐसी परंपरा है जो दिलों को जोड़ती है और समाज को एक नई ऊर्जा देती है।