कश्मीर में मंगलवार को जिस समय केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आतंकी और अलगाववादियों के बचे-खुचे पारिस्थितिक तंत्र के समूल नाश की कार्ययोजना को बना रहे थे, उसी समय दो और अलगाववादी संगठनों ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से नाता तोड़ते हुए आजादी, कश्मीर बनेगा पाकिस्तान व कश्मीर में जनमत संग्रह की राजनीति से भी तौबा करने का एलान कर दिया।
भारतीय संविधान में जताई आस्था
भारतीय संविधान में आस्था जताते हुए इन संगठनों ने कहा कि अब हमारा आतंक और अलगाववाद का नारा देने वालों से या हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से कोई संबंध नहीं है। विगत कुछ समय से कश्मीर में 11 अलगाववादी संगठन हुर्रियत और अलगाववादी राजनीति से किनारा कर चुके हैं।
मंगलवार को जिन दो अलगाववादी संगठनों ने हुर्रियत से नाता तोड़ा है वह जम्मू-कश्मीर इस्लामिक पॉलिटिकल पार्टी और जम्मू-कश्मीर मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग हैं। यह दोनों हुर्रियत कान्फ्रेंस के घटकों में शामिल रहे हैं।इन दोनों संगठनों ने अलग-अलग बयान जारी कर कहा कि वह भारत के संविधान और उसकी संप्रभुता, एकता अखंडता में यकीन रखते हैं।
सरकार ने इनके खिलाफ चला रखा है अभियान
बता दें कि पांच अगस्त 2019 के बाद से कश्मीर में सरकार ने आतंकियों और अलगाववादियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का अभियान चला रखा है।आम लोगों ने भी कश्मीर मे जिहाद और आजादी का नारा देने वालों से पूरी तरह मुंह मोड़ लिया है। इससे विभिन्न अलगाववादी संगठनों ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से ही नहीं, बल्कि आजादी और अलगाववाद के नारे सभी किनारा करना शुरू कर दिया है।