नई दिल्ली, 8 अप्रैल 2025, मंगलवार। नई दिल्ली की मिट्टी में 8 अप्रैल 2025 को एक नया इतिहास लिखा गया। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और इजराइल के कृषि एवं खाद्य सुरक्षा मंत्री अवि दिख्तर ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), पूसा के हरे-भरे परिसर में कदम रखा। यह दौरा सिर्फ एक औपचारिक मुलाकात नहीं था, बल्कि भारत और इजरायल के बीच दशकों पुराने कृषि सहयोग की जीवंत मिसाल था। दोनों देशों के मंत्रियों ने यहाँ न सिर्फ वैज्ञानिक उपलब्धियों को देखा, बल्कि उस सपने को साकार होते पाया जो 1996 में रखी गई एक आधारशिला से शुरू हुआ था।

एक सपने की शुरुआत: 1996 से 2025 तक का सफर
कहानी शुरू होती है 31 दिसंबर 1996 से, जब इजरायल के तत्कालीन राष्ट्रपति एज़र वीज़मैन और भारत के कृषि मंत्री चतुरानन मिश्रा ने पूसा में भारत-इजरायल परियोजना की नींव रखी थी। आज, केंद्रीय कृषि सचिव और आईसीएआर के प्रभारी महानिदेशक देवेश चतुर्वेदी ने मंत्रियों को उस ऐतिहासिक पल की याद दिलाई। आईएआरआई के संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) ने बताया कि कैसे यहाँ शुरू हुआ उत्कृष्टता केंद्र देश भर के किसानों के लिए वरदान बना। संरक्षित खेती की तकनीकों को लोकप्रिय बनाने से लेकर प्रशिक्षण और प्रदर्शन तक, इस परियोजना ने भारतीय कृषि को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।

ग्रीनहाउस की दुनिया: रंग-बिरंगी फसलों का जादू
प्रतिनिधिमंडल का अगला पड़ाव था 1998 में बना एक खास ग्रीनहाउस, जो भारत-इजरायल विशेषज्ञता का प्रतीक है। यहाँ मंत्रियों ने रंगीन शिमला मिर्च, टमाटर और चेरी टमाटर की फसलों को नजदीक से देखा। पूसा कॉकटेल टमाटर, पूसा चेरी टमाटर हाइब्रिड 1, पूसा रक्षित जैसी टमाटर की किस्मों के साथ-साथ पीली, नारंगी और लाल शिमला मिर्च (सीपीसीटी-31सी-11, सीपीसीटी-एवी-151, सीपीसीटी-33ए-2) ने सबका ध्यान खींचा। पूसा पार्थेनोकार्पिक खीरा, ग्रीष्मकालीन स्क्वैश पूसा अलंकार और पूसा पसंद जैसी सब्जियों ने भी अपनी छटा बिखेरी। फूलों की बात करें तो गुलदाउदी ज़ेम्बला, मैरीगोल्ड पूसा पर्व, पूसा बहार और पूसा दीप ने परिसर को खुशबू और रंगों से भर दिया।

वैज्ञानिकों की मेहनत, किसानों की उम्मीद
आईएआरआई के वैज्ञानिकों ने मंत्रियों को बताया कि ये तकनीकें और किस्में अब पूरे देश में फैल चुकी हैं। संरक्षित खेती ने न सिर्फ उत्पादन बढ़ाया, बल्कि किसानों को मौसम की मार से भी बचाया। यह ग्रीनहाउस उस सपने का सबूत है, जो भारत और इजरायल ने मिलकर देखा था—एक ऐसी कृषि जो आधुनिक हो, टिकाऊ हो और हर किसान के लिए सुलभ हो।

दो देश, एक मिशन
इस दौरे में आईसीएआर-आईएआरआई के वरिष्ठ अधिकारी, कृषि मंत्रालय के प्रतिनिधि और इजरायल दूतावास के अधिकारी भी शामिल थे। यह मुलाकात सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि दो देशों की साझेदारी का जश्न थी। शिवराज सिंह चौहान और अवि दिख्तर की यह यात्रा भारतीय किसानों के लिए नई उम्मीद लेकर आई। पूसा का यह परिसर अब सिर्फ एक अनुसंधान केंद्र नहीं, बल्कि हरियाली और समृद्धि का प्रतीक बन गया है।

भविष्य की ओर कदम
जैसे ही मंत्रियों ने ग्रीनहाउस की रंग-बिरंगी फसलों को निहारा, एक बात साफ थी—भारत और इजरायल का यह सहयोग आने वाले दिनों में और बड़े फल देगा। यह दौरा न सिर्फ अतीत की उपलब्धियों का सम्मान था, बल्कि भविष्य के लिए एक नई शुरुआत भी। पूसा की धरती से उठी यह हरियाली अब देश के कोने-कोने तक पहुँचने को तैयार है।
