✍️ विकास यादव
वाराणसी, 8 अप्रैल 2025, मंगलवार। वाराणसी, वो पवित्र नगरी जहां गंगा की लहरें इतिहास की कहानियां सुनाती हैं, एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार वजह है दक्षिणी सीट से बीजेपी विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी का एक अनोखा कदम। सोमवार को वे अचानक अपने समर्थकों के साथ धरहरा मस्जिद में घुस गए और वहां झाड़ू लेकर सफाई शुरू कर दी। करीब एक घंटे तक विधायक और उनके समर्थकों ने मस्जिद के कोने-कोने को चमकाया—सीढ़ियों से लेकर नमाज पढ़ने वाले मुख्य स्थल तक, हर जगह झाड़ू और पानी की छाप छोड़ दी। इस दौरान मस्जिद की दीवारों के बीच “पीएम मोदी जिंदाबाद”, “योगी जिंदाबाद” और “हर हर महादेव” के नारे गूंजते रहे।
विधायक ने इसे एक साधारण सफाई अभियान का हिस्सा बताया। उनका कहना था, “हम अपने वार्ड में सफाई कर रहे थे, तो यहां भी साफ-सफाई कर दी।” दरअसल, 11 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वाराणसी दौरा है, और इससे पहले भाजपा कार्यकर्ता पूरे शहर को चमकाने में जुटे हैं। इसी कड़ी में बीजेपी के नीलकंठ तिवारी अपने विधानसभा क्षेत्र बिंदुमाधव वार्ड में झाड़ू लेकर निकले थे। पंचगंगा घाट और बिंदुमाधव के बाद उनका अगला पड़ाव बना धरहरा मस्जिद।
धरहरा मस्जिद: इतिहास और विवाद का संगम
धरहरा मस्जिद, जिसे आलमगीर मस्जिद भी कहते हैं, 1669 में औरंगजेब के शासनकाल में बनाई गई थी। कहा जाता है कि इसे बिंदुमाधव मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। इस जगह को लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है, और दो मामले अभी भी कोर्ट में लंबित हैं। वर्तमान में इसकी देखरेख पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) के जिम्मे है। इतिहासकार बताते हैं कि मस्जिद की दो मीनारें कभी इतनी ऊंची थीं कि उनसे दिल्ली की कुतुब मीनार भी दिखाई देती थी, लेकिन सौ साल पहले जर्जर होने के कारण उन्हें ढहा दिया गया।
मस्जिद के पास ही पंचगंगा घाट पर बिंदुमाधव मंदिर आज भी मौजूद है। इस मंदिर का जिक्र फ्रांसीसी यात्री जीन बैप्टिस्ट टैवर्नियर ने 1665 में अपने यात्रा वृत्तांत में किया था। उन्होंने लिखा था कि बिंदुमाधव मंदिर की भव्यता पुरी के जगन्नाथ मंदिर जैसी थी। यह स्वास्तिक आकार का था, जिसके चारों हिस्से समान थे। मंदिर में एक विशाल वेदिका थी, जिस पर सुनहरे रंग की मूर्तियां थीं। इतिहासकार डॉ. मोतीचंद्र के अनुसार, 1669 में औरंगजेब के फरमान से विश्वनाथ मंदिर के साथ बिंदुमाधव मंदिर भी तोड़ा गया था।
मस्जिद में सफाई या कुछ और?
विधायक के इस कदम ने कई सवाल खड़े कर दिए। मस्जिद के मुज्जियन अली का कहना है कि 400 साल में पहली बार कोई विधायक मस्जिद में घुसा और झाड़ू लगाई। वे इसे लेकर असहज हैं। उनका कहना था, “जब विधायक आए, वहां कोई नहीं था। ASI का गार्ड भी चला गया। लेकिन अंदर नारेबाजी और झंडे लहराना ठीक नहीं लगा।” दूसरी ओर, विधायक इसे स्वच्छता अभियान का हिस्सा बताते हैं। इस दौरान मस्जिद में मौजूद पुलिस, ASI अधिकारी और मस्जिद से जुड़े लोग बाहर चले गए थे।
एक नया अध्याय
यह घटना सिर्फ सफाई तक सीमित नहीं रही। नारों और जयघोष के बीच यह एक राजनीतिक और सांस्कृतिक संदेश भी दे गई। वाराणसी, जो अपनी गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जानी जाती है, एक बार फिर चर्चा में है। क्या यह सिर्फ स्वच्छता अभियान था, या इसके पीछे कोई बड़ा मकसद? जवाब शायद वक्त देगा। लेकिन इतना तय है कि धरहरा मस्जिद की दीवारें, जो सदियों से खामोश गवाह बनी थीं, इस दिन कुछ अलग गूंज सुन रही थीं।