वाराणसी, 6 अप्रैल 2025, रविवार। भगवान श्रीराम की अमर गाथा अब केवल ग्रंथों और कथाओं तक सीमित नहीं रही। यह डाक टिकटों के रंगीन कैनवास पर उतरकर देश-विदेश में अपनी महिमा बिखेर रही है। भारत सहित विश्व के 20 से अधिक देशों ने रामायण के चरित्रों और प्रसंगों को डाक टिकटों के जरिए जीवंत किया है। सचमुच, डाक टिकटों पर भी राम राज्य की छटा छाई हुई है।
रामनवमी पर पोस्टमास्टर जनरल का खास संदेश
रामनवमी के पावन अवसर पर वाराणसी पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने इस अनूठी पहल की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले 18 जनवरी, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘श्रीराम जन्मभूमि मंदिर’ को समर्पित छह विशेष स्मारक डाक टिकट जारी किए। इन टिकटों में मंदिर की भव्य छवि के साथ भगवान गणेश, हनुमान, जटायु, केवटराज और माता शबरी जैसे पात्रों को स्थान दिया गया। सोने के वर्क से सजे और चंदन की खुशबू से महकते ये टिकट सूर्यवंशी राम के प्रतीक सूर्य और पुण्य नदी सरयू की छवि से सुशोभित हैं। ‘मंगल भवन अमंगल हारी, द्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी’ की चौपाई के साथ इनमें राष्ट्र के मंगल की कामना भी झलकती है। खास बात यह है कि इन टिकटों के निर्माण में अयोध्या की पवित्र मिट्टी और सरयू के जल का उपयोग हुआ, जो पंच महाभूतों के दर्शन को भी साकार करता है। ये टिकट देशभर के प्रमुख डाकघरों और फिलेटली ब्यूरो में उपलब्ध हैं।
रामायण के हर प्रसंग को समेटे डाक टिकट
पोस्टमास्टर जनरल श्री यादव ने बताया कि इससे पहले 22 सितंबर, 2017 को डाक विभाग ने रामायण के सभी प्रमुख प्रसंगों को दर्शाते 11 स्मारक डाक टिकटों का सेट जारी किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे वाराणसी के तुलसी मानस मंदिर से लॉन्च किया था। इन टिकटों में सीता स्वयंवर से लेकर रावण वध और राम के राज्याभिषेक तक के दृश्य जीवंत हो उठे हैं। भरत मिलाप, केवट प्रसंग, जटायु संवाद, शबरी संवाद, राम सेतु निर्माण और संजीवनी ले जाते हनुमान जैसे चित्रों को देखकर लगता है मानो पूरा रामराज डाक टिकटों पर उतर आया हो। इसके अलावा, 5 अगस्त, 2020 को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिलान्यास के अवसर पर भी प्रधानमंत्री ने एक कस्टमाइज्ड डाक टिकट जारी किया था, जो इस ऐतिहासिक क्षण को अमर बनाता है।
संस्कृति को सहेजने की अनूठी पहल
कृष्ण कुमार यादव ने कहा, “डाक विभाग का उद्देश्य लोगों को उनकी विरासत और संस्कृति से जोड़ना है। रामायण के प्रसंगों और श्रीराम जन्मभूमि मंदिर से जुड़े डाक टिकट इसी दिशा में एक बड़ा कदम हैं। ये टिकट नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का माध्यम बनेंगे।” उन्होंने जोड़ा कि जब ये टिकट पत्रों के साथ विदेश पहुंचते हैं, तो रामायण की गाथा वैश्विक मंच पर गूंज उठती है।
डाक टिकटों पर राम राज्य का रंग
रामायण की यह यात्रा केवल भारत तक सीमित नहीं है। विश्व के कई देशों ने भी अपनी डाक टिकटों पर राम कथा को स्थान दिया है। यह नन्हा कागज का टुकड़ा अब सिर्फ संदेशवाहक नहीं, बल्कि संस्कृति और आस्था का दूत बन चुका है। श्रीराम की महिमा को डाक टिकटों के जरिए सहेजना और फैलाना भारतीय डाक विभाग की एक ऐसी पहल है, जो आने वाली पीढ़ियों को गर्व और प्रेरणा से भर देगी।