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Friday, June 27, 2025

मुस्लिम महिलाओं ने श्रीराम की महाआरती से दिया एकता और प्रेम का संदेश

वाराणसी, 6 अप्रैल 2025, रविवार। रामनवमी का पावन अवसर इस बार काशी में एक अनूठे रंग में रंगा नजर आया। जहां एक ओर वक्फ संशोधन बिल को लेकर देशभर में कट्टरपंथी मौलानाओं ने नफरत की आग भड़काने की कोशिश की, वहीं दूसरी ओर मुस्लिम महिलाओं ने भगवान श्रीराम की महाआरती कर प्रेम और सौहार्द का संदेश दिया। यह आयोजन मुस्लिम महिला फाउंडेशन और विशाल भारत संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में लमही के सुभाष भवन में हुआ, जहां सजावटी थाल, रंगोली और उर्दू में लिखे श्रीराम के नाम ने सभी का मन मोह लिया।

वक्फ बिल के समर्थन में उतरीं मुस्लिम महिलाएं

वक्फ संशोधन बिल के पारित होने से मुस्लिम महिलाएं बेहद खुश हैं। उनका कहना है कि इस बिल से उन्हें अधिकार मिले हैं, जो उनके लिए एक नई शुरुआत है। इस खुशी को व्यक्त करने के लिए नकाबपोश मुस्लिम महिलाओं ने मुस्लिम महिला फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाज़नीन अंसारी के नेतृत्व में श्रीराम की आरती उतारी। उर्दू में लिखी गई राम आरती को गाते हुए महिलाओं ने “जय सियाराम” के नारे लगाए और राम जन्म पर सोहर गाए। यह दृश्य नफरत की आग को प्रेम के पानी से बुझाने का प्रतीक बन गया।

“राम हमारी संस्कृति के पर्याय हैं” – नाज़नीन अंसारी

हनुमान चालीसा फेम नाज़नीन अंसारी ने इस मौके पर कहा, “अरबी, तुर्की, मुगल लुटेरों ने भारत पर आक्रमण किया, राज किया, लेकिन उनकी संस्कृति को हमने कभी स्वीकार नहीं किया। राम भारत की आत्मा हैं, हमारे पूर्वज हैं। जब हम उनकी आरती करते हैं, तो हमारे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।” उन्होंने वक्फ बिल को राम की कृपा का परिणाम बताते हुए कहा, “यह बिल मुस्लिम महिलाओं के लिए संघर्ष को खत्म करने वाला साबित होगा। राम का नाम ही हर नफरत को मिटा देता है।”

“रामनवमी हमारी संस्कृति का हिस्सा” – डॉ. नजमा परवीन

विशाल भारत संस्थान की डॉ. नजमा परवीन ने कहा, “रामनवमी हमारे देश की सांस्कृतिक धरोहर है। राम जी की कृपा से तीन तलाक और वक्फ बिल जैसे कानून मुस्लिम महिलाओं के हक में पास हुए। यह हमारे लिए गर्व की बात है।”

“राम के नाम से नफरत को खत्म करें” – डॉ. राजीव श्रीगुरुजी

विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव श्रीगुरुजी ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, “राम जन्मोत्सव मनाना हजारों वर्षों की परंपरा है। मुस्लिम महिलाओं ने इसे जीवंत रखकर दुनिया को एकता और प्रेम का संदेश दिया। श्रीरामचरितमानस को हर देश के पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए, ताकि नफरत खत्म हो और सौहार्द बढ़े।”

“राम हमारे पूर्वज हैं” – अफरोज पाण्डेय मोनी

संस्थान के वाईस चेयरमैन अफरोज पाण्डेय मोनी ने कहा, “प्रेम का संदेश देने और अपनी संस्कृति को अपनाने में संकोच कैसा? यह देश हमारा है, हमारे पूर्वज यहीं के हैं, तो राम भी हमारे हैं। उनकी आरती कर गर्व महसूस हो रहा है।”

एकता का प्रतीक बना आयोजन

इस मौके पर डॉ. अर्चना भारतवंशी, डॉ. मृदुला जायसवाल, नगीना बेगम, चाँदनी, रुखसाना, सितारा बानो, खुशबू जरीना सहित कई महिलाएं और पुरुष मौजूद रहे। यह आयोजन न केवल धार्मिक सौहार्द का प्रतीक बना, बल्कि समाज को बांटने की कोशिश कर रहे लोगों के लिए एक करारा जवाब भी साबित हुआ। काशी की इस पहल ने साबित कर दिया कि राम का नाम नफरत को मिटाकर प्रेम और एकता की मिसाल कायम कर सकता है।

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