मुंबई, 5 अप्रैल 2025, शनिवार। बॉलीवुड के सुनहरे दौर के एक सितारे का चमकना 4 अप्रैल, 2025 को हमेशा के लिए थम गया। दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार, जिन्हें सिनेमाई पर्दे पर ‘भारत कुमार’ के नाम से जाना जाता था, ने 87 साल की उम्र में मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में अपनी आखिरी सांस ली। शुक्रवार सुबह जब यह खबर फैली, तो फिल्मी दुनिया और उनके प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई। शनिवार, 5 अप्रैल को उनका अंतिम संस्कार पूरे सम्मान के साथ किया गया। प्रोटोकॉल के तहत उनके पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटा गया, जो उनके देशभक्ति से भरे सिनेमाई योगदान का प्रतीक था।
लंबी बीमारी और शांतिपूर्ण विदाई
मनोज कुमार के बेटे कुणाल गोस्वामी ने बताया कि उनके पिता लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। वे डीकंपेंसेटेड लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। 21 फरवरी, 2025 को उनकी हालत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कुणाल ने भावुक होते हुए कहा, “पिताजी को आखिरी वक्त में ज्यादा तकलीफ नहीं हुई। उन्होंने शांतिपूर्वक इस दुनिया को अलविदा कह दिया।” यह शांति उनके जीवन और फिल्मों की तरह ही थी—सादगी और गहराई से भरी।
देशभक्ति का पर्याय बने ‘भारत कुमार’
मनोज कुमार का नाम सुनते ही ‘उपकार’, ‘पूरब-पश्चिम’, ‘क्रांति’ और ‘रोटी-कपड़ा और मकान’ जैसी फिल्मों की याद ताजा हो जाती है। ये वो फिल्में थीं, जिन्होंने न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया, बल्कि समाज को एक नई सोच दी। उनकी फिल्मों में देशभक्ति, सामाजिक मूल्यों और भारतीय संस्कृति की झलक साफ दिखती थी। यही वजह थी कि उन्हें ‘भारत कुमार’ कहा जाने लगा। चाहे ‘उपकार’ का किसान हो या ‘क्रांति’ का क्रांतिकारी, मनोज कुमार ने हर किरदार में देश के प्रति अपने प्रेम को उकेरा।
सम्मान और पुरस्कारों से भरा करियर
मनोज कुमार का फिल्मी सफर उपलब्धियों से भरा रहा। उन्हें अपने करियर में 7 बार फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया। 1992 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया, और 2016 में सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से उनकी कला को सलाम किया गया। ये सम्मान उनके उस योगदान के गवाह हैं, जिसने बॉलीवुड को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
पीएम मोदी ने जताया शोक
मनोज कुमार के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गहरा दुख जताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “मनोज कुमार जी का निधन भारतीय सिनेमा के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी फिल्मों ने देशभक्ति और सामाजिक चेतना को नई पहचान दी। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।” पीएम का यह संदेश उनके प्रभाव को दर्शाता है, जो सिनेमा से निकलकर समाज तक पहुंचा।
एक युग का अंत
मनोज कुमार सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे। उनकी फिल्में आज भी युवाओं को प्रेरित करती हैं कि देश और समाज के लिए कुछ करना कितना जरूरी है। उनका जाना बॉलीवुड के उस सुनहरे युग का अंत है, जो देशभक्ति और संवेदनशीलता से सजा था। जैसे ही तिरंगे में लिपटा उनका पार्थिव शरीर अंतिम यात्रा पर निकला, हर आंख नम थी और हर दिल में उनके लिए सम्मान था। ‘भारत कुमार’ भले ही हमारे बीच न रहें, लेकिन उनकी फिल्में और उनका संदेश हमेशा जिंदा रहेगा।