नई दिल्ली, 4 अप्रैल 2025, शुक्रवार। राज्यसभा में वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने एक बार फिर अपने तीखे तंज और तर्कों से सदन का माहौल गर्मा दिया। अपनी खास शैली में उन्होंने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए बिल के पक्ष में जोरदार दलीलें पेश कीं। त्रिवेदी ने कहा कि इस बिल के लिए सरकार ने कितनी मेहनत और गंभीरता से काम किया है, यह पहले ही सदन में साफ हो चुका है। लेकिन विपक्ष पर चुटकी लेते हुए उन्होंने एक कहावत का सहारा लिया, “नया मुल्ला प्याज ज्यादा खाता है, लेकिन यहां तो पुराना मुल्ला माल ज्यादा खा रहा है।”
उन्होंने वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए पूछा कि आखिर देश में सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड अलग-अलग क्यों हैं? वक्फ के दावों की हकीकत को उजागर करते हुए त्रिवेदी ने कई उदाहरण गिनाए और ताज महल का जिक्र छेड़कर सबको चौंका दिया। उन्होंने तंज कसा, “हैरानी की बात ये है कि ताज महल पर भी दावा ठोक दिया गया।”
विपक्ष पर हमला तेज करते हुए त्रिवेदी ने कहा कि उनकी सरकार ने मुस्लिम समाज के कल्याण के लिए ईमानदारी से कदम उठाए हैं। उन्होंने इसे “शराफत अली और शरारत खान” के बीच का मुकाबला करार दिया और जोर देकर कहा कि सरकार शराफत अली यानी गरीब मुसलमानों के साथ खड़ी है, न कि कट्टरपंथी वोटों के ठेकेदारों के साथ। त्रिवेदी ने विपक्ष को घेरते हुए कहा, “कुछ लोग उम्मा का सपना देख रहे थे, लेकिन अब उनकी उम्मीदों पर पानी फिर रहा है। जो लोग अल्पसंख्यकों की बात करते हैं, वो पहले उन्हें तराजू में तौलते हैं। और जो कहते हैं कि न कानून मानेंगे, न नियम, न अदालत का आदेश, वो तो अपनी खुदाई में जी रहे हैं। लेकिन आजकल खुदाई से डर लगता है, क्योंकि जहां खुदा है, वहां भगवान भी है।”
इस चर्चा में केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, “आपने हमें मुसलमान विरोधी बताकर लोकसभा में वोट बटोरे, लेकिन अब ये समाज हमारे साथ आ रहा है।” अठावले ने दावा किया कि वक्फ संशोधन बिल पास होने के बाद नरेंद्र मोदी चौथी बार देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। उन्होंने गर्व से कहा, “मैं इस बिल के समर्थन में खड़ा हूं। मेरी पार्टी इसका समर्थन करती है।”
इस बहस ने न सिर्फ वक्फ बिल की अहमियत को उजागर किया, बल्कि सियासी तंज और तर्कों के दम पर राज्यसभा में एक नया रंग भी भर दिया। अब सबकी नजर इस बात पर है कि यह बिल कब और कैसे कानून का रूप लेगा।