नई दिल्ली, 4 अप्रैल 2025, शुक्रवार। गुरुवार की रात संसद में हलचल मची रही। पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा ने वक्फ संशोधन बिल को मंजूरी दी। इसके तुरंत बाद मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को पक्का करने वाला सांविधिक संकल्प भी उच्च सदन से पास हो गया। शुक्रवार की सुबह करीब चार बजे, जब देश सो रहा था, राज्यसभा ने ध्वनिमत से इस प्रस्ताव को हरी झंडी दिखाई। लोकसभा इसे एक दिन पहले ही पारित कर चुकी थी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे सदन में पेश किया और मणिपुर के हालात पर खुलकर बात रखी।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की कहानी
13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था। अमित शाह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, दो महीने के भीतर संसद से इसकी मंजूरी जरूरी थी। उन्होंने कहा, “हमारी पहली प्राथमिकता मणिपुर में शांति लाना है। पिछले चार महीनों में वहां एक भी मौत नहीं हुई।” शाह ने माना कि जातीय हिंसा में 260 लोगों की जान गई, लेकिन साथ ही विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा, “पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा में इससे ज्यादा लोग मारे गए हैं।”
शाह ने मणिपुर के हालात बिगड़ने का ठीकरा एक अदालती फैसले पर फोड़ा। उनके मुताबिक, एक जाति को आरक्षण देने के कोर्ट के निर्णय ने आग में घी का काम किया, हालांकि अगले ही दिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दे दिया। राज्यपाल ने विधायकों से बात की, लेकिन बहुमत ने सरकार बनाने से इनकार कर दिया। फिर कैबिनेट की सिफारिश पर राष्ट्रपति शासन लागू हुआ।
शाह की अपील: “मणिपुर पर राजनीति न करें”
गृह मंत्री ने विपक्ष से मणिपुर के मुद्दे को सियासी हथियार न बनाने की गुजारिश की। उन्होंने वादा किया कि सरकार जल्द ही दोनों समुदायों को साथ लाकर बातचीत करेगी, ताकि शांति और पुनर्वास का रास्ता निकले। शाह का कहना था, “हम चाहते हैं कि मणिपुर के जख्मों पर मरहम लगे।”
खरगे का सरकार पर हमला
विपक्ष ने भी चुप्पी नहीं साधी। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने तंज कसा, “मणिपुर में इतनी हिंसा हुई, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वहां जाने का वक्त नहीं मिला।” खरगे ने बीजेपी की ‘डबल इंजन सरकार’ को नाकाम करार दिया और दावा किया कि दबाव में आकर मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा। उन्होंने मणिपुर हिंसा की जांच और केंद्र से श्वेत पत्र की मांग उठाई।
संसद में बहस, बाहर सवाल
यह रात संसद के लिए लंबी और गहमागहमी भरी रही। वक्फ संशोधन बिल से लेकर मणिपुर तक, सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। शाह ने शांति का भरोसा दिया, तो खरगे ने जवाबदेही मांगी। लेकिन सवाल वही है—क्या मणिपुर में शांति सिर्फ कागजों और बयानों तक सीमित रहेगी, या सचमुच जमीन पर उतरेगी? यह वक्त ही बताएगा।