✍️ विकास यादव
वाराणसी, 3 मार्च 2025, गुरुवार: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आठ साल के अपने कार्यकाल में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी स्थित जनसंपर्क कार्यालय का दौरा किया। यह घटना न सिर्फ चर्चा का विषय बन गई, बल्कि इसके सियासी मायने भी तलाशे जा रहे हैं। श्री राम जानकी मंदिर के शिलान्यास के बाद सीएम योगी जवाहर नगर एक्सटेंशन पहुंचे, जहां उन्होंने करीब 15 मिनट तक जनसुनवाई की। इस दौरान उन्होंने दस लोगों की समस्याएं सुनीं, उनके प्रार्थना पत्र स्वीकार किए और समाधान के लिए जरूरी निर्देश दिए। ज्यादातर शिकायतें स्वास्थ्य से जुड़ी थीं। उनके साथ राज्य मंत्री रविंद्र जायसवाल और कई जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
पीएम कार्यालय में सीएम की मौजूदगी क्यों खास?
यह जनसंपर्क कार्यालय पूर्वांचल और पश्चिमी बिहार के लोगों के लिए “मिनी पीएमओ” की तरह है। यहां से अब तक अनगिनत लोगों की समस्याओं का समाधान हो चुका है। ऐसे में सीएम योगी का यहां पहुंचना साधारण घटना नहीं माना जा रहा। खास तौर पर तब, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत भी वाराणसी में मौजूद हैं और लखनऊ-दिल्ली के सियासी समीकरणों में बदलाव की सुगबुगाहट है। योगी का यह कदम क्या संकेत देता है? क्या यह जनता से सीधे जुड़ने की कोशिश है या कोई बड़ा राजनीतिक संदेश? सवाल कई हैं।
कानून-व्यवस्था पर सख्ती, विकास पर जोर
सीएम योगी ने इस मौके पर कानून-व्यवस्था की समीक्षा भी की। उन्होंने चेन स्नैचिंग, लूट और महिला अपराधों पर लगाम कसने के लिए फुट पेट्रोलिंग बढ़ाने के निर्देश दिए। गौ-तस्करी को जड़ से खत्म करने के लिए मास्टरमाइंड तक पहुंचने की हिदायत दी। साथ ही, लव जिहाद और धर्मांतरण जैसी घटनाओं पर तुरंत सख्त कार्रवाई का आदेश दिया। योगी ने कहा कि ऐसी गतिविधियों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
विकास के मोर्चे पर भी सीएम ने कई अहम निर्देश दिए। राजस्व विवादों को जल्द और निष्पक्ष तरीके से निपटाने, वाराणसी विकास प्राधिकरण के तहत गांवों में नक्शों की स्वीकृति में सहूलियत बरतने और शहर के नियोजित विकास के लिए क्लस्टर आधारित कार्ययोजना बनाने पर जोर दिया। गर्मियों को देखते हुए नगर निगम को शुद्ध पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया, ताकि जनता को कोई परेशानी न हो।
सियासी संदेश या जनसेवा?
हालांकि योगी लखनऊ और गोरखपुर में नियमित रूप से जनता दरबार लगाते हैं, लेकिन पीएम के जनसंपर्क कार्यालय में उनकी मौजूदगी ने सबको चौंकाया। कुछ इसे जनता से सीधे जुड़ने की उनकी शैली का हिस्सा मान रहे हैं, तो कुछ इसे सियासी संदेश के तौर पर देख रहे हैं। खासकर तब, जब संघ प्रमुख मोहन भागवत का वाराणसी दौरा और राज्य-केंद्र के बीच समन्वय की चर्चाएं जोरों पर हैं। यह कदम योगी की छवि को और मजबूत करने वाला हो सकता है, जो पहले से ही कानून-व्यवस्था और विकास के लिए अपनी सख्ती के लिए जाने जाते हैं।
वाराणसी में नई हलचल
सीएम योगी का यह दौरा न सिर्फ वाराणसी के लोगों के लिए राहत लेकर आया, बल्कि सियासी गलियारों में भी नई बहस छेड़ गया। क्या यह सिर्फ एक संयोग था या इसके पीछे कोई बड़ी रणनीति? जवाब भले ही अभी स्पष्ट न हो, लेकिन इतना तय है कि योगी ने एक बार फिर अपनी सक्रियता और जनता के प्रति संवेदनशीलता से सबका ध्यान खींचा है। अब देखना यह है कि यह कदम आगे चलकर किस दिशा में ले जाता है।