नई दिल्ली, 2 अप्रैल 2025, बुधवार। लोकसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर अपनी बात रखते हुए न सिर्फ इसके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को उजागर किया, बल्कि विपक्ष के भ्रमजाल को भी तोड़ने की कोशिश की। शाह ने साफ शब्दों में कहा, “वक्फ में कोई गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होगा।” यह बयान न केवल विधेयक की मूल भावना को रेखांकित करता है, बल्कि सरकार के इरादों को भी स्पष्ट करता है।
वक्फ का इतिहास और अर्थ
अमित शाह ने वक्फ की उत्पत्ति और इसके समकालीन अर्थ को समझाते हुए कहा कि यह एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब है अल्लाह के नाम पर संपत्ति का दान, खास तौर पर पवित्र धार्मिक उद्देश्यों के लिए। उन्होंने बताया कि भारत में वक्फ की शुरुआत दिल्ली में सल्तनत काल से हुई। समय के साथ इसमें बदलाव आए—1954 में आजादी के बाद संशोधन हुआ और फिर वक्फ बोर्ड का गठन हुआ। शाह ने इसे आज की भाषा में “चैरिटेबल एंडोमेंट” यानी धर्मार्थ न्यास के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने इस्लाम के दूसरे खलीफा उमर के समय से इसके ऐतिहासिक महत्व का भी जिक्र किया।
“दान वही, जो हमारा हो”
शाह ने एक अहम सवाल उठाया—दान का अधिकार किसे है? उनका जवाब था, “दान उसी चीज का हो सकता है, जो हमारा हो। मैं सरकारी संपत्ति या किसी और की जमीन का दान नहीं कर सकता।” उन्होंने पिछले सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि यूपीए सरकार ने सरकारी जमीनें वक्फ को सौंप दीं। दिल्ली में सरकारी संपत्ति, तमिलनाडु में मंदिर की जमीन, और यहाँ तक कि 1500 साल पुरानी जमीन को भी वक्फ के हवाले कर दिया गया। शाह ने इसे गलत ठहराया और कहा कि यह विधेयक ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए है।
विपक्ष पर हमला: “वोट बैंक की राजनीति”
गृहमंत्री ने विपक्ष पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि सरकार मुस्लिम समुदाय की धार्मिक गतिविधियों और उनकी दान की संपत्ति में दखल देना चाहती है। शाह ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा, “यह बिल वक्फ की संपत्ति के रखरखाव और पारदर्शिता के लिए है, न कि किसी के अधिकार छीनने के लिए।” उन्होंने लालू यादव के पुराने बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने वक्फ बोर्ड में गड़बड़ियों को लेकर सख्त कानून की मांग की थी।
बिल में क्या है खास?
अमित शाह ने विधेयक के प्रमुख प्रावधानों को स्पष्ट किया:
- वक्फ में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति नहीं होगी।
- वक्फ की संपत्ति का ऑडिट होगा, जिससे पारदर्शिता आएगी।
- हड़पी गई जमीन के लिए कोर्ट का रास्ता खुला रहेगा।
- यह कानून धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन में दखल नहीं देगा, बल्कि उनकी बेहतरी के लिए है।
- शाह ने जोर देकर कहा, “हम वोट बैंक के लिए कानून नहीं बनाते। भारत सरकार का कानून सबको मानना होगा।”
विपक्ष का विरोध और जवाब
विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस, इस बिल को असंवैधानिक बता रहे हैं। उनका दावा है कि सरकार एक खास समुदाय की जमीन पर नजर गड़ाए हुए है और अल्पसंख्यकों को अपमानित करने की कोशिश कर रही है। जवाब में शाह ने कहा कि यह भ्रम अल्पसंख्यकों में डर पैदा करने और वोट बैंक को साधने की साजिश है। उन्होंने विपक्ष को चुनौती दी कि वे इस बिल की मंशा पर सवाल उठाने की बजाय तथ्यों पर बहस करें।
अमित शाह का संबोधन: वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर बहस में नया मोड़
अमित शाह के इस संबोधन ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को लेकर चल रही बहस को नया मोड़ दिया है। यह बिल न केवल वक्फ की संपत्तियों को व्यवस्थित करने का वादा करता है, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही का नया अध्याय शुरू करने की दिशा में एक कदम है। अब सवाल यह है कि क्या विपक्ष इस मुद्दे पर रचनात्मक बहस करेगा, या भ्रम की राजनीति में उलझा रहेगा? समय ही बताएगा।