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Wednesday, June 18, 2025

रेल दुर्घटनाओं में 400 से 81 का सफर: अश्विनी वैष्णव ने गिनाई उपलब्धियां, लालू-ममता-खरगे पर साधा निशाना

नई दिल्ली, 2 अप्रैल 2025, बुधवार। 2 अप्रैल 2025 को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अपनी सरकार के रेलवे रिकॉर्ड को लेकर जोरदार ढंग से बात रखी। उन्होंने न सिर्फ रेलवे सुरक्षा में आए सुधारों का बखान किया, बल्कि पूर्व रेल मंत्रियों लालू प्रसाद यादव, ममता बनर्जी और मल्लिकार्जुन खरगे के कार्यकाल की तुलना कर विपक्ष पर तीखा हमला भी बोला। वैष्णव का दावा था कि उनकी सरकार ने रेल दुर्घटनाओं को 400 से घटाकर 81 पर ला दिया, जो एक ऐतिहासिक सुधार का सबूत है।

दुर्घटनाओं में भारी कमी

रेल मंत्री ने गर्व से बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में रेल दुर्घटनाओं की संख्या 400 थी, जो अब 2024-25 में घटकर महज 81 रह गई है। उन्होंने इसे रेलवे सुरक्षा में क्रांतिकारी बदलाव करार दिया। वैष्णव ने कहा, “यह आंकड़ा अपने आप में बोलता है। हमने न सिर्फ दुर्घटनाओं को कम किया, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी।”

लालू, ममता और खरगे पर निशाना

अश्विनी वैष्णव ने मौके का फायदा उठाते हुए विपक्ष के दिग्गज नेताओं के कार्यकाल को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा, “लालू जी के समय हर साल करीब 700 दुर्घटनाएं होती थीं। ममता जी के कार्यकाल में यह संख्या 400 के आसपास थी, और खरगे जी के समय 385 दुर्घटनाएं दर्ज हुईं।” इसके उलट, उन्होंने अपनी सरकार के आंकड़े पेश करते हुए कहा कि अब यह संख्या 81 तक सिमट गई है, जो पिछले रिकॉर्ड्स की तुलना में 90% से ज्यादा की कमी को दर्शाता है।

इससे पहले राज्यसभा में भी वैष्णव ने 17 मार्च को इसी तरह की तुलना की थी। तब उन्होंने कहा था कि लालू के समय हर दिन औसतन दो दुर्घटनाएं और ममता के समय एक दुर्घटना होती थी। “2005-06 में लालू जी के कार्यकाल में 698 हादसे हुए, ममता जी के समय 395 और खरगे जी के समय 38। आज हमने इसे प्रति वर्ष 30 दुर्घटनाओं तक सीमित कर दिया है। ट्रेनों के पटरी से उतरने की घटनाओं को जोड़ें, तब भी यह संख्या 73 है—पहले के 700 के मुकाबले यह एक बड़ी छलांग है।”

शून्य एफआईआर का सिस्टम

रेलवे से जुड़े अपराधों में एफआईआर दर्ज करने में देरी के सवाल पर वैष्णव ने भरोसा दिलाया कि सरकार इस दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा, “हर राज्य की सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) और रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) आपस में तालमेल बिठा रहे हैं। शून्य एफआईआर की व्यवस्था लागू करने से इस समस्या का समाधान होगा।” यह कदम यात्रियों की शिकायतों को तुरंत दर्ज करने और कार्रवाई में तेजी लाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

सुधारों का दमदार दावा

वैष्णव ने अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि जहां पहले हर दिन दुर्घटनाओं का डर सताता था, वहीं अब हालात बदल गए हैं। “पहले 700 के करीब दुर्घटनाएं होती थीं, अब यह आंकड़ा 80 से भी नीचे आ गया है। यह सिर्फ आंकड़ा नहीं, बल्कि लाखों यात्रियों के लिए सुरक्षा का भरोसा है।”

बहस का नया दौर

रेल मंत्री के इस बयान ने न सिर्फ उनकी सरकार की पीठ थपथपाई, बल्कि विपक्ष के लिए एक नई चुनौती भी खड़ी कर दी। लालू, ममता और खरगे के कार्यकाल पर सवाल उठाते हुए वैष्णव ने साफ कर दिया कि उनकी नजर रेलवे को और बेहतर बनाने पर है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह आंकड़ों की बाजीगरी है या वाकई रेलवे में सुधार की नई बयार? यह बहस अभी जारी रहेगी, लेकिन फिलहाल वैष्णव के दावों ने संसद से लेकर जनता तक चर्चा को गर्म कर दिया है।

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