अलीगढ़, 1 अप्रैल 2025, मंगलवार। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में इन दिनों एक अजीबो-गरीब घटनाक्रम ने पूरे शहर को चर्चा का केंद्र बना दिया है। एक ओर जहां जूस बेचकर गुजारा करने वाले गरीब विक्रेता को आयकर विभाग ने करोड़ों रुपये का नोटिस थमाया, वहीं दूसरी ओर एक मेहनतकश मजदूर को 89 लाख रुपये का नोटिस भेजकर उसकी जिंदगी में तूफान ला दिया। ये दोनों मामले न सिर्फ हैरान करने वाले हैं, बल्कि यह सवाल भी उठाते हैं कि आखिर इतने बड़े नोटिस के पीछे की सच्चाई क्या है? क्या यह सिस्टम की चूक है या किसी बड़े फर्जीवाड़े का हिस्सा?
जूस विक्रेता की कहानी: 400-500 रुपये की कमाई, 7.79 करोड़ का नोटिस
अलीगढ़ के सराय रहमान इलाके में रहने वाले मोहम्मद रईस एक साधारण जूस विक्रेता हैं। दीवानी कचहरी के पास उनका छोटा सा ठेला है, जहां से वह रोजाना मुश्किल से 400-500 रुपये कमा पाते हैं। इस कमाई से वह अपने माता-पिता, पत्नी और बच्चों का पेट पालते हैं। लेकिन हाल ही में उनके जीवन में उस वक्त भूचाल आ गया, जब आयकर विभाग ने उन्हें 7 करोड़ 79 लाख रुपये का नोटिस भेज दिया। यह सुनते ही रईस और उनका परिवार सदमे में डूब गया। रईस की पत्नी का कहना है, “हमारे पास तो दो वक्त की रोटी का इंतजाम मुश्किल से होता है, इतने करोड़ रुपये तो हमने सपने में भी नहीं देखे।”
जांच में पता चला कि रईस के पैन कार्ड का इस्तेमाल पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर फर्जी लेन-देन के लिए किया गया। रईस का कहना है कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं थी। वह प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि उनकी मदद की जाए और इस गलतफहमी को दूर किया जाए। आयकर विभाग का दावा है कि यह नोटिस उनके सर्वर में दर्ज डेटा के आधार पर जारी किया गया है, लेकिन यह साफ नहीं है कि एक गरीब जूस विक्रेता का नाम इस बड़े खेल में कैसे शामिल हो गया।
मजदूर की व्यथा: 600 रुपये की दिहाड़ी, 89 लाख का नोटिस
दूसरी ओर, अलीगढ़ के नौरंगाबाद इलाके में रहने वाले योगेश शर्मा की कहानी भी कम चौंकाने वाली नहीं है। योगेश एक ताला कारीगर हैं, जो मोर्टिस लॉक्स में स्प्रिंग बनाने का काम करते हैं। उनकी रोज की कमाई महज 600 रुपये के आसपास है। किराए के एक कमरे में रहने वाले योगेश की पत्नी बीमार है, बिजली का बिल तक चुकाने के पैसे नहीं हैं, और घर का चूल्हा जलाना भी मुश्किल हो रहा है। लेकिन आयकर विभाग ने उनके सामने 11.18 करोड़ रुपये के टर्नओवर का हवाला देते हुए 89 लाख रुपये की वसूली का नोटिस रख दिया।
शनिवार को डाकिए से नोटिस मिलने के बाद योगेश के पैरों तले जमीन खिसक गई। वह कहते हैं, “मैं तो सुबह से शाम तक मेहनत करता हूं, फिर भी दो वक्त की रोटी मुश्किल से जुटा पाता हूं। इतने लाख रुपये कहां से लाऊं?” योगेश का मानना है कि उनके पैन कार्ड का गलत इस्तेमाल हुआ है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार से न्याय की गुहार लगाई है।
सिस्टम की चूक या साइबर फ्रॉड?
इन दोनों मामलों ने अलीगढ़ में हड़कंप मचा दिया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर एक गरीब जूस विक्रेता और मजदूर के नाम पर इतना बड़ा लेन-देन कैसे हो सकता है? विशेषज्ञों का मानना है कि यह साइबर ठगी का मामला हो सकता है, जिसमें इन लोगों की पहचान का दुरुपयोग कर फर्जी फर्म बनाई गईं और करोड़ों रुपये का कारोबार दिखाया गया। आयकर विभाग के अधिकारी दुर्गेश कुमार ने बताया कि योगेश के पैन कार्ड पर लेन-देन उनके पोर्टल पर दर्ज है और इसकी जांच जारी है। वहीं, रईस के मामले में पंजाब के कुछ फर्म संचालकों से पूछताछ की जा रही है।
गरीबों की पुकार: “हमें न्याय चाहिए”
रईस और योगेश के परिवार अब दर-दर भटक रहे हैं। रईस का कहना है, “मेरा ब्लड प्रेशर बढ़ गया है, मुझे समझ नहीं आ रहा कि इस संकट से कैसे निकलूं।” वहीं, योगेश की पत्नी पिछले दो साल से टीबी से जूझ रही है, और नोटिस के बाद से घर में चूल्हा तक नहीं जला। दोनों परिवारों ने प्रशासन और समाज से अपील की है कि उनकी मदद की जाए ताकि सच सामने आ सके और वे इस मानसिक दबाव से मुक्त हो सकें।
क्या है आगे का रास्ता?
ये मामले न सिर्फ व्यक्तिगत त्रासदी को उजागर करते हैं, बल्कि सिस्टम में मौजूद खामियों की ओर भी इशारा करते हैं। क्या यह आयकर विभाग की लापरवाही है, या फिर साइबर अपराधियों का सुनियोजित खेल? जवाब जांच के बाद ही मिलेगा। लेकिन तब तक रईस और योगेश जैसे गरीब लोग अनिश्चितता के साये में जीने को मजबूर हैं। यह कहानी न सिर्फ अलीगढ़ की गलियों में गूंज रही है, बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई है। अब देखना यह है कि क्या इन गरीब परिवारों को न्याय मिलेगा, या यह नोटिस उनकी जिंदगी पर एक और बोझ बनकर रह जाएगा।