वाराणसी, 31 मार्च 2025, सोमवार। वाराणसी की पावन धरती पर सोमवार को एक अनूठा नजारा देखने को मिला, जब गोलघर स्थित श्री काशी जीवनदायिनी गौशाला से मां गणगौर की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। गवरजा माता के वार्षिक उत्सव के अवसर पर आयोजित इस शोभायात्रा में राजस्थानी संस्कृति की अनुपम छटा बिखर रही थी। गाजे-बाजे की मधुर धुनों के बीच निकली यह यात्रा श्रद्धा और उत्साह का अनुपम संगम बन गई।

शोभायात्रा में सबसे आगे प्रथम रथ पर विघ्नहर्ता गणेश जी की प्रतिमा सुशोभित थी, तो दूसरा रथ 125 वर्ष पुरानी मां गणगौर की ऐतिहासिक प्रतिमा से आलोकित था। यह प्रतिमा बीकानेर के महाराजा गंगासिंह द्वारा स्थापित और पूजित की गई थी, जो अपने आप में एक समृद्ध इतिहास को समेटे हुए है। इसके अलावा, एक बग्घी में महादेव और माता पार्वती का स्वरूप भी विराजमान था, जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा।

मारवाड़ी समाज की महिलाएं पारंपरिक राजस्थानी पोशाक में सजी-धजी मां की जय-जयकार करती चल रही थीं, तो पुरुष पगड़ी बांधे हुए इस उत्सव में शिरकत कर रहे थे। शोभायात्रा के आगे संस्था का बैनर लहरा रहा था, उसके पीछे बैंड-बाजा और शहनाई की मधुर धुनों के साथ राम नाम की गुंजन गूंज रही थी। जीवंत झांकियां इस आयोजन को और भी मनोरम बना रही थीं।

शोभायात्रा से पहले गौशाला मैदान में विधि-विधान से पूजन-अर्चन का कार्यक्रम संपन्न हुआ। संस्था के अध्यक्ष दीपक कुमार बजाज और मंत्री पवन कुमार अग्रवाल ने गणेश जी और मां गणगौर की पूजा की। इसके बाद अध्यक्ष दीपक बजाज ने मुख्य अतिथियों और समाज के गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। इस अवसर पर रविंद्र जायसवाल (राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार, स्टांप एवं पंजीयन), डॉ. दयाशंकर मिश्र दयालु (राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार), प्रदीप अग्रहरि (भाजपा महानगर अध्यक्ष), डॉ. नीलकंठ तिवारी (पूर्व मंत्री एवं विधायक शहर दक्षिणी), सौरभ श्रीवास्तव (विधायक कैंट विधानसभा), चला सुब्बा राव (महंत चिंतामणि गणेश जी), महाराज अन्नपूर्णा प्रसाद (महंत श्रृंगेरी मठ, वाराणसी), आरके चौधरी (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, आईआईएम), और समाजसेवी उमाशंकर अग्रवाल को माल्यार्पण और दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।

गौशाला से शुरू हुई यह शोभायात्रा नीचीबाग, चौक, बांसफाटक, गोदौलिया और गिरजाघर होते हुए लक्सा स्थित श्याम मंदिर पहुंची। वहां मारवाड़ी, माहेश्वरी, मारवाड़ी जैन, खंडेलवाल और मैथिल क्षत्रिय समाज की महिलाओं और कन्याओं ने मां गणगौर की विधिवत पूजा की और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। श्याम मंदिर से लक्ष्मीकुंड तक का मार्ग राजस्थानी संस्कृति की जीवंत छटा से सराबोर हो उठा।

संस्था के अध्यक्ष दीपक कुमार बजाज ने बताया कि गणगौर पूजा मारवाड़ी समाज का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो कन्याओं और सौभाग्य की कामना करने वाली महिलाओं के लिए विशेष मायने रखता है। इस पर्व में होलिका की भस्म और गंगा व अन्य तालाबों की मिट्टी से गणगौर, कानीराम और मालिन की प्रतिमाएं बनाई जाती हैं। इन्हें वस्त्र-आभूषणों से सजाकर घर के आंगन में स्थापित किया जाता है और पूजन किया जाता है। भारत के साथ-साथ विदेशों में भी मारवाड़ी समाज इस पर्व को बड़े उत्साह के साथ मनाता है। शोभायात्रा के 18वें दिन मां गवरजा की प्रतिमा को तालाब या कुंड में विसर्जित किया जाता है।

इस शोभायात्रा में आरके चौधरी, उमाशंकर अग्रवाल, शंकर लाल सोमानी, ओंकार माहेश्वरी, सुरेश तुलस्यान, नवरतन राठी, लोकेंद्र करवा, यदुदेव अग्रवाल, महेश चौधरी, संतोष अग्रवाल, श्याम बजाज, आनंद लड़िया, गौरव राठी, अजय खेमका, गोकुल शर्मा, वेद मूर्ति शास्त्री, किशोर मूंदड़ा, मनीष गिनोडिया, कृष्ण कुमार काबरा, पवन मोदी, अनूप सर्राफ, कृष्ण गोपाल तुलस्यान, मांगी लाल शारदा, अनिल झंवर, श्याम मनोहर लोहिया, राजेश तुलस्यान, रामजी लाल चाड़क, विजय मोदी, सुनील शर्मा, राजेश पोद्दार, मदनमोहन पोद्दार और राम बुबना जैसे समाज के प्रमुख लोग शामिल रहे।
यह शोभायात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बनी, बल्कि राजस्थानी संस्कृति और परंपरा को जीवंत करने का एक शानदार माध्यम भी साबित हुई।
