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Friday, June 27, 2025

नवरात्रि और जौ की परंपरा: एक आध्यात्मिक संदेश

वाराणसी, 31 मार्च 2025, सोमवार। हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व एक ऐसा अनुपम उत्सव है, जो भक्ति, शक्ति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। नौ दिनों तक चलने वाला यह पर्व माता दुर्गा की आराधना का समय होता है, जिसमें भक्तगण पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हैं। इन्हीं परंपराओं में से एक खास रिवाज है नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के साथ जौ (जवारे) बोना। यह छोटा-सा कार्य केवल एक रस्म नहीं, बल्कि गहरे आध्यात्मिक और ज्योतिषीय अर्थों से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि जौ का हरा-भरा अंकुरण घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मकता का संदेश लाता है। लेकिन क्या होता है जब जौ ठीक से न उगें? आइए, इस रहस्य को काशी के विद्वान पंडित विकास शास्त्री के विचारों के साथ समझते हैं।

जौ बोने का महत्व

नवरात्रि की शुरुआत में मिट्टी के एक पात्र में जौ के बीज बोए जाते हैं और इसे माता दुर्गा की कृपा का प्रतीक माना जाता है। नौ दिनों तक इन जौ के अंकुरों की देखभाल की जाती है और इनका हरा-भरा होना इस बात का संकेत देता है कि घर में शक्ति और समृद्धि का वास हो रहा है। यह परंपरा प्रकृति के साथ हमारे गहरे जुड़ाव को भी दर्शाती है, जिसमें उर्वरता और जीवन का उत्सव छिपा है। लेकिन कई बार जौ अंकुरित नहीं होते या बहुत कम उगते हैं। इसे अशुभ मानते हुए लोग चिंता में पड़ जाते हैं। तो क्या हैं इसके कारण और संकेत? चलिए जानते हैं।

जौ न उगने के पीछे छिपे कारण और संकेत

पंडित विकास शास्त्री के अनुसार, जौ का ठीक से न उगना कई संभावित कारणों से जुड़ा हो सकता है, जो घर की ऊर्जा, ग्रहों की चाल और जीवन की परिस्थितियों को प्रभावित करते हैं।

नकारात्मक ऊर्जा की मौजूदगी

यदि घर या पूजा स्थल पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव हो, यह ऊर्जा वास्तु दोष, बुरी नजर या किसी अज्ञात बाधा के कारण हो सकती है। जब यह नकारात्मकता हावी होती है, तो माता की कृपा कमजोर पड़ सकती है और जौ का अंकुरण प्रभावित हो सकता है। यह अशुभता का संकेत माना जाता है, जो जीवन में बाधाएं ला सकता है।

आर्थिक संकट का संकेत

जौ का हरा-भरा अंकुरण समृद्धि और धन-धान्य की प्रतीक है। यदि यह ठीक से न उगे, तो इसे भविष्य में आर्थिक तंगी या धन हानि का संकेत माना जा सकता है। यह घर की आर्थिक स्थिरता पर असर डाल सकता है।

ग्रहों का अशुभ प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार, शनि, राहु या केतु जैसे ग्रहों की प्रतिकूल स्थिति जौ के अंकुरण को रोक सकती है। इसके अलावा, पितृ दोष भी इसका कारण हो सकता है। इन दोषों का प्रभाव सुख-शांति को भंग कर सकता है।

स्वास्थ्य पर संकट

जौ का न उगना परिवार में किसी सदस्य के स्वास्थ्य पर संकट का संकेत हो सकता है। खासकर अगर कोई पहले से बीमार है, तो यह स्थिति और गंभीर हो सकती है। यह शारीरिक और मानसिक कष्ट का भी प्रतीक हो सकता है।

पारिवारिक तनाव और क्लेश

जौ का ठीक से न उगना घर में कलह, तनाव और रिश्तों में खटास का संकेत दे सकता है। यह नकारात्मक ऊर्जा के कारण पारिवारिक सौहार्द को प्रभावित कर सकता है।

नवरात्रि में जौ बोना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक संदेशवाहक है, जो हमें हमारे जीवन की ऊर्जा और परिस्थितियों से जोड़ता है। यदि जौ ठीक से न उगें, तो इसे हल्के में न लें। यह समय है आत्मचिंतन का, पूजा विधि को सुधारने का और नकारात्मकता को दूर करने का। माता दुर्गा की कृपा से हर संकट दूर हो सकता है, बशर्ते हम सच्चे मन से उनकी शरण में जाएं। यह पर्व हमें सिखाता है कि श्रद्धा और सकारात्मकता से जीवन के हर क्षेत्र में समृद्धि लाई जा सकती है।

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