बिलासपुर, 30 मार्च 2025, रविवार। 30 मार्च 2025 को बिलासपुर की धरती पर एक ऐसा क्षण आया, जब इतिहास और वर्तमान का संगम देखने को मिला। जब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बिलासा देवी केवट की स्मृति में बना विशेष मोमेंटो भेंट किया, तो यह सिर्फ एक शिल्पकृति नहीं थी—यह समय की गहराइयों से निकली एक कहानी थी। प्रधानमंत्री इसे देर तक निहारते रहे, मानो उसमें छिपी वीरता और शिल्प की बारीकियां उन्हें प्राचीन काल की सैर करा रही हों। यह मोमेंटो केवल एक उपहार नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की गौरवशाली विरासत और नारी शक्ति का जीवंत प्रतीक था।
प्राचीन कला का आधुनिक सम्मान
यह खास मोमेंटो बेल मेटल से तैयार किया गया था, जिसमें सिंधु घाटी सभ्यता की प्राचीन ‘लॉस्ट वैक्स टेक्निक’ (Dhokra Art) की छाप थी। हजारों साल पहले, जब सिंधु घाटी के कारीगर धातु को पिघलाकर नए आकार देते थे, शायद उन्हें नहीं पता था कि उनकी यह कला एक दिन बिलासा देवी जैसी वीरांगना के सम्मान में गढ़ी जाएगी। छत्तीसगढ़ में आज भी जीवित यह धोक्रा कला न केवल शिल्प का चमत्कार है, बल्कि आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रमाण भी है। इस मोमेंटो ने उस प्राचीन तकनीक को नए युग में जीवंत कर दिखाया।
बिलासा देवी: साहस की मिसाल
बिलासा देवी केवट कोई साधारण महिला नहीं थीं। वे केवट समाज की वह शख्सियत थीं, जिन्होंने अपने साहस, परिश्रम और नेतृत्व से इतिहास में अमरता पाई। उनके नाम पर ही बिलासपुर शहर का नामकरण हुआ। केवट समाज, जो नदियों और जलमार्गों से अपनी आजीविका चलाता है, भारतीय संस्कृति में ईमानदारी और मेहनत का प्रतीक रहा है। भगवान श्रीराम के जीवन में भी केवट की भूमिका को कौन भूल सकता है, जिन्होंने निषादराज के रूप में उनकी नाव खेते हुए उन्हें गंगा पार कराई थी। बिलासा देवी उसी परंपरा की एक नायिका थीं, जिन्होंने अपनी जागीर की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की।
नारी शक्ति और विकास का संदेश
यह मोमेंटो सिर्फ एक शिल्प नहीं, बल्कि नारी सशक्तिकरण का प्रतीक भी था। इसे भेंट करते हुए मुख्यमंत्री साय ने छत्तीसगढ़ की उस भावना को रेखांकित किया, जो महिलाओं को सम्मान और प्रेरणा देती है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी छत्तीसगढ़ के विकास को नई गति दी। उन्होंने ₹33,700 करोड़ से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। आवास, शिक्षा, सड़क, रेलवे, बिजली और गैस पाइपलाइन जैसी योजनाएं न सिर्फ नागरिकों का जीवन आसान बनाएंगी, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नए द्वार भी खोलेंगी।
एक गर्व का पल
बिलासपुर के मोहभट्टा में आयोजित इस समारोह में जब यह मोमेंटो प्रधानमंत्री के हाथों में सौंपा गया, तो यह छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान और प्रगति का एक अनूठा संगम था। यह पल उस गर्व को दर्शाता था, जो हर छत्तीसगढ़वासी अपनी वीरांगना बिलासा देवी और अपनी धरोहर के प्रति महसूस करता है। यह मोमेंटो न केवल अतीत की गाथा गाता है, बल्कि भविष्य के लिए एक प्रेरणा भी बन गया है।
बिलासा देवी केवट का यह मोमेंटो सिर्फ धातु का एक टुकड़ा नहीं, बल्कि साहस, शिल्प और संस्कृति का त्रिवेणी संगम है। यह हमें याद दिलाता है कि हमारी जड़ें कितनी गहरी हैं और हमारा भविष्य कितना उज्ज्वल हो सकता है। जब प्राचीन धोक्रा कला और आधुनिक विकास की ये दो धाराएं एक साथ बहीं, तो बिलासपुर की धरती ने एक बार फिर इतिहास रच दिया।