दिल्ली, 30 मार्च 2025, रविवार: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि जड़ों से जुड़े बिना विकास का कोई अर्थ नहीं। इसी सोच के साथ उनकी सरकार ‘विरासत से विकास’ की रणनीति पर काम कर रही है। दिल्ली में एक निजी समाचार चैनल के ‘सत्ता सम्मेलन कार्यक्रम’ को संबोधित करते हुए उन्होंने प्रदेश की गौरवशाली विरासत को सहेजने और इसे विकास का आधार बनाने की योजनाओं को साझा किया। सम्राट विक्रमादित्य और राजा भोज जैसे महानायकों के पराक्रम को जन-जन तक पहुंचाने से लेकर सिंहस्थ कुंभ 2028 को ऐतिहासिक बनाने तक, मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार के विजन को बखूबी सामने रखा।
विक्रमादित्य महानाट्य: इतिहास का उत्सव
मुख्यमंत्री ने बताया कि सम्राट विक्रमादित्य के सुशासन और पुरुषार्थ को याद करने के लिए 12 से 14 अप्रैल तक दिल्ली में ‘विक्रमादित्य महानाट्य’ का भव्य आयोजन होगा। “2000 साल पहले सम्राट विक्रमादित्य ने नवरत्नों के साथ गणतंत्र आधारित शासन चलाया और जनता का कर्ज माफ कर विक्रम संवत की शुरुआत की। उनकी इस विरासत को हम उत्सव के रूप में मनाएंगे,” डॉ. यादव ने गर्व से कहा। यह महानाट्य न केवल इतिहास को जीवंत करेगा, बल्कि नई पीढ़ी को भी प्रेरणा देगा।
सिंहस्थ कुंभ 2028: एक अद्भुत अनुभव
उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ को लेकर मुख्यमंत्री का उत्साह साफ झलक रहा था। उन्होंने कहा, “12 साल में बृहस्पति के सिंह राशि में प्रवेश का यह उत्सव हमारी मेला संस्कृति का प्रतीक है। इसे संरक्षित करने और श्रद्धालुओं की सुविधा-सुरक्षा के लिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।” प्रयागराज महाकुंभ से सबक लेते हुए सरकार हर अप्रिय स्थिति से निपटने को तैयार है। डॉ. यादव ने वादा किया कि यह आयोजन “अद्भुत” होगा, जो देश-दुनिया के लिए एक मिसाल बनेगा।
धार्मिक पर्यटन और जल संरक्षण की पहल
प्रदेश सरकार धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उज्जैन की कालगणना की परंपरा को सहेजते हुए वहां वैदिक घड़ी और ऐप विकसित किए गए हैं। वहीं, 1000 साल पहले राजा भोज द्वारा शुरू की गई जल संरक्षण की तकनीक को फिर से अपनाया जा रहा है। भोपाल में सम्राट विक्रमादित्य और राजा भोज के नाम पर स्मृति द्वार बनाए जा रहे हैं, जो प्रदेश की समृद्ध विरासत के प्रतीक होंगे।
कानून सम्मत शासन और सामाजिक समरसता
डॉ. यादव ने जोर देकर कहा कि मध्य प्रदेश में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना से सभी धर्मों के लोग एक-दूसरे के त्योहारों में शिरकत करते हैं। “प्रदेश में कानून सम्मत शासन चलता है, जिसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं। खाद्य सुरक्षा कानून के तहत खुले में मांस और अन्य खाद्य पदार्थों का विक्रय नियंत्रित है,” उन्होंने स्पष्ट किया। यह व्यवस्था सामाजिक समरसता को बनाए रखने में भी मदद करती है।
श्रीकृष्ण के मार्ग पर सरकार
मुख्यमंत्री ने भगवान श्रीकृष्ण के शिक्षा, प्रेम और गौपालन के संदेश को सरकार की प्राथमिकता बताया। गौशालाओं को मिलने वाला अनुदान 20 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये कर दिया गया है। साथ ही, 10 से अधिक गौधन पालने वालों को अनुदान और दूध खरीदी पर 5 रुपये का बोनस दिया जा रहा है। यह कदम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण है।
विरासत और विकास का संगम
डॉ. मोहन यादव का यह संबोधन मध्य प्रदेश के लिए एक नई दिशा का संकेत देता है, जहां इतिहास और आधुनिकता का तालमेल विकास की नई कहानी लिखेगा। ‘विरासत से विकास’ की यह रणनीति न सिर्फ प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को संजोएगी, बल्कि इसे प्रगति का आधार भी बनाएगी।