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Sunday, June 22, 2025

आगरा से लखनऊ तक सियासी तूफान: सपा सांसद के समर्थन में उतरे नेता, करणी सेना ने जलाया पुतला

लखनऊ, 27 मार्च 2025, गुरुवार। उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर हंगामा मच गया है। गुरुवार को समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता शिवपाल यादव और राम गोपाल यादव आगरा पहुंचे, जहां सपा सांसद रामजीलाल सुमन के आवास पर हुए हमले ने सियासी आग को हवा दे दी। शिवपाल यादव ने इसे शासन-प्रशासन की शह पर हुई गुंडई करार दिया और साफ कहा, “हम न झुकेंगे, न बर्दाश्त करेंगे।” उनके मुताबिक, हमलावर भाजपा कार्यकर्ता थे, जिन्होंने सांसद के घर पर तोड़फोड़ की, लेकिन प्रशासन मूकदर्शक बना रहा। “सभी को गिरफ्तार करना चाहिए था, मगर उन्हें छोड़ दिया गया,” शिवपाल ने तंज कसते हुए कहा।

राम गोपाल यादव ने इसे और गंभीर रंग दिया। उन्होंने दावा किया कि हमला सुनियोजित था। “हमलावर बुलडोजर, लाठी-डंडे और तलवारों के साथ आए थे। प्रशासन ने उन्हें रोकने की जहमत तक नहीं उठाई। शासन का पूरा सहयोग था,” उन्होंने आरोप लगाया। फिर एक सवाल उठाया, “अगर रामजीलाल सुमन दलित न होते, हमलावरों की अपनी बिरादरी के होते, तो क्या ये हिम्मत करते?”

लखनऊ में भी बवाल, पल्लवी पटेल ने पुलिस को दिखाई ताकत

आग सिर्फ आगरा तक सीमित नहीं रही। लखनऊ में अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल सपा सांसद के समर्थन में सड़कों पर उतरीं। प्रदर्शन रोकने आईं ACP नेहा त्रिपाठी को उन्होंने धक्का दे दिया और आगे बढ़ गईं। पुलिस ने उन्हें और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर वैन में बैठाया और ईको गार्डन भेज दिया। सपा कार्यकर्ता भी पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

करणी सेना का पलटवार, सांसद का पुतला फूंका

दूसरी तरफ, करणी सेना ने सपा और रामजीलाल सुमन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। वाराणसी में सांसद के खिलाफ MP/MLA कोर्ट में वाद दायर किया गया, तो मथुरा में करणी सेना ने उनका पुतला जलाकर गुस्सा जाहिर किया। प्रदेश भर में उनके प्रदर्शन ने सियासी माहौल को और गरमा दिया।

क्या है विवाद की जड़?

यह पूरा बवाल 21 मार्च को राज्यसभा में रामजीलाल सुमन के एक बयान से शुरू हुआ। उन्होंने कहा था, “भाजपा का तकिया कलाम है कि मुसलमानों में बाबर का डीएनए है। तो फिर हिंदुओं में किसका डीएनए है? बाबर को भारत में राणा सांगा लाया था, जिसने इब्राहीम लोदी को हराने के लिए उसे बुलाया।” सुमन ने तंज कसा, “अगर मुसलमान बाबर की औलाद हैं, तो तुम (हिंदू) गद्दार राणा सांगा की औलाद हो।” उन्होंने आगे कहा, “बाबर की आलोचना होती है, राणा सांगा की नहीं। आजादी की लड़ाई में इन्होंने अंग्रेजों की गुलामी की। हिंदुस्तान का मुसलमान बाबर को आदर्श नहीं मानता, बल्कि मोहम्मद साहब और सूफी परंपरा को मानता है।”

सियासत का रंगमंच

इस घटनाक्रम ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। सपा जहां इसे दलित सम्मान और शासन की नाकामी से जोड़ रही है, वहीं भाजपा और करणी सेना इसे हिंदू अस्मिता पर हमले के तौर पर पेश कर रहे हैं। आने वाले दिन बताएंगे कि यह सियासी जंग किस करवट बैठती है। तब तक, सड़कों से लेकर कोर्ट तक, यह विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा।

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