अरविंद राजभर की हुंकार: गाजी मिया आउट, सुहेलदेव इन
वाराणसी, 23 मार्च 2025, रविवार। संभल में सैयद सालार मसूद गाजी के मेले को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बार मामला तब गरमाया जब संभल के सीओ ने मेले पर रोक लगा दी। इसके बाद कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर ने बड़ा बयान देकर विवाद को और हवा दे दी। अरविंद ने साफ कहा कि वह किसी भी कीमत पर संभल में गाजी मिया का मेला नहीं होने देंगे। उनका तर्क है कि जिन लोगों ने देश के लिए कुछ नहीं किया, उनके नाम पर महिमामंडन क्यों किया जाए? साथ ही उन्होंने एक नया प्रस्ताव रखा कि अगर मेला लगाना ही है तो सर सैयद अहमद खां, अशफाक उल्लाह खां, एपीजे अब्दुल कलाम या वीर अब्दुल हमीद जैसे नायकों के नाम पर लगाया जाए, जिन्होंने देश के लिए योगदान दिया।

अरविंद राजभर रविवार को वाराणसी में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के यूथ विंग के सम्मेलन में शामिल हुए थे। वहां उन्होंने अपनी बात को दोहराते हुए कहा कि गाजी मिया जैसे लोगों का देश के इतिहास में कोई खास योगदान नहीं रहा, तो फिर उनके नाम पर मेला लगाने की क्या जरूरत? उनकी इस टिप्पणी ने सियासी गलियारों में बहस छेड़ दी है। लेकिन अरविंद यहीं नहीं रुके। उन्होंने एक कदम आगे बढ़ते हुए ऐलान किया कि आगामी 10 जून को पूरे उत्तर प्रदेश में चक्रवर्ती सम्राट सुहेलदेव राजभर के नाम पर मेले आयोजित किए जाएंगे। इसमें सबसे भव्य आयोजन बहराइच में होगा, जहां मुख्यमंत्री के शामिल होने की भी संभावना जताई जा रही है।

अरविंद ने बताया कि इस मेले के आयोजन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य प्रमुख लोगों से बातचीत हो चुकी है। बहराइच का कार्यक्रम खास तौर पर चर्चा में रहेगा, क्योंकि इसे बड़े पैमाने पर आयोजित करने की योजना है। दूसरी ओर, यूथ सम्मेलन में युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने सोशल मीडिया को हथियार बनाने की सलाह दी। उनका कहना था कि सुहेलदेव पार्टी के काम और महाराजा सुहेलदेव के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए युवाओं को सक्रिय होना होगा। इसके लिए उन्होंने घर-घर जाकर लोगों को भारतीय संविधान और सुहेलदेव के इतिहास के बारे में जागरूक करने का आह्वान भी किया।

यह पूरा घटनाक्रम न सिर्फ संभल बल्कि पूरे प्रदेश में सियासी और सामाजिक माहौल को प्रभावित कर सकता है। एक तरफ गाजी मिया के मेले पर रोक और विरोध की बात हो रही है, तो दूसरी तरफ सुहेलदेव के नाम पर बड़े आयोजन की तैयारी। अब देखना यह है कि यह सियासी बयानबाजी और मेले की तैयारियां आगे क्या रंग लाती हैं।