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Sunday, July 6, 2025

वाराणसी में साइबर ठगी का नया खेल: पतंजलि योग पीठ के नाम पर 2.21 लाख की चपत

वाराणसी, 21 मार्च 2025, शुक्रवार। वाराणसी, भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक नगरी, एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह बेहद चौंकाने वाली है। पतंजलि योग पीठ जैसी प्रतिष्ठित संस्था के नाम का दुरुपयोग कर साइबर ठगों ने एक शख्स को अपनी जाल में फंसाया और 2.21 लाख रुपये की ठगी कर डाली। यह मामला न केवल तकनीकी अपराध की बढ़ती चुनौती को उजागर करता है, बल्कि आम लोगों के लिए एक चेतावनी भी है कि डिजिटल दुनिया में सावधानी कितनी जरूरी है।
कैसे शुरू हुआ यह फ्रॉड?
मामले का शिकार बने संजीव खेमका, जो वाराणसी के भेलूपुर थाना क्षेत्र के गुरुधाम कॉलोनी में रहते हैं, ने बताया कि यह सब एक साधारण गूगल सर्च से शुरू हुआ। संजीव कुछ जानकारी जुटाने के लिए ऑनलाइन सर्च कर रहे थे, तभी उनकी नजर एक ऐसी वेबसाइट पर पड़ी, जो पतंजलि योग पीठ के नाम से थी। वेबसाइट पर कुछ सामानों की प्री-बुकिंग की पेशकश की जा रही थी। उत्सुकता और भरोसे के चलते संजीव ने वहां दिए गए नंबर पर कॉल किया। दूसरी ओर से एक शख्स ने खुद को कंपनी का कर्मचारी बताते हुए ऑनलाइन पेमेंट की मांग की। संजीव को लगा कि यह एक सामान्य लेन-देन है, लेकिन वे अनजाने में साइबर ठगों के जाल में फंस गए।
पांच बार में गंवाए 2.21 लाख रुपये
संजीव ने बताया कि ठगों के झांसे में आकर उन्होंने पांच अलग-अलग बार में कुल 2 लाख 21 हजार रुपये ट्रांसफर किए। हर बार शायद उन्हें उम्मीद थी कि सामान जल्द ही उनके पास पहुंचेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। जब उन्हें शक हुआ और संपर्क करने की कोशिश की, तो ठगों का कोई अता-पता नहीं चला। इसके बाद संजीव ने भेलूपुर थाने में इसकी शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने शुरू की जांच
भेलूपुर थाना प्रभारी गोपाल कुशवाहा ने बताया कि पीड़ित की शिकायत पर साइबर अपराध का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। इस मामले में आईटी एक्ट की धारा 66C (पहचान चोरी) और 66D (डिजिटल धोखाधड़ी) के तहत FIR दर्ज की गई है। पुलिस ने इसकी जानकारी साइबर क्राइम ब्रांच को भी दी है, ताकि इस ठगी के पीछे के मास्टरमाइंड तक पहुंचा जा सके। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि ठगों ने फर्जी वेबसाइट बनाकर लोगों को लालच और भरोसे के जाल में फंसाया।
साइबर ठगी का बढ़ता खतरा
यह घटना आज के डिजिटल युग में साइबर अपराध के बढ़ते खतरे की एक मिसाल है। नामी संस्थाओं के नाम पर फर्जी वेबसाइट बनाना और प्री-बुकिंग या ऑफर के बहाने लोगों से पैसे ऐंठना अब ठगों का पसंदीदा हथियार बन गया है। खासकर ऐसे समय में जब ऑनलाइन शॉपिंग और डिजिटल पेमेंट हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुके हैं, इस तरह की ठगी से बचने के लिए जागरूकता बेहद जरूरी है।
कैसे रहें सुरक्षित?
वेबसाइट की सत्यता जांचें: किसी भी ऑनलाइन पेमेंट से पहले वेबसाइट के URL और उसकी विश्वसनीयता को जांचें। आधिकारिक वेबसाइट्स पर अक्सर “https” और एक ताला का निशान होता है।
अज्ञात नंबरों पर भरोसा न करें: अगर कोई अनजान शख्स फोन पर पेमेंट की मांग करे, तो पहले उसकी सत्यता की पुष्टि करें।
पुलिस से संपर्क करें: अगर आपको ठगी का शक हो, तुरंत नजदीकी थाने या साइबर सेल में शिकायत दर्ज करें।
संजीव खेमका की यह कहानी हमें सिखाती है कि तकनीक के साथ-साथ सावधानी भी जरूरी है। पतंजलि जैसे बड़े नाम का सहारा लेकर ठगों ने जिस तरह इस वारदात को अंजाम दिया, वह चिंताजनक है। पुलिस इस मामले की तह तक जाने के लिए जुटी है, लेकिन तब तक हर नागरिक को अपनी सतर्कता बढ़ानी होगी। डिजिटल दुनिया में भरोसा अच्छी बात है, लेकिन अंधा भरोसा आपकी जेब और मन दोनों को खाली कर सकता है।

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