लखनऊ, 21 मार्च 2025, शुक्रवार। मऊ की धरती से एक बार फिर स्वाभिमान की हुंकार उठी है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव और पूर्व मंत्री डॉ. अरविंद राजभर ने साफ शब्दों में ऐलान किया है कि विदेशी आक्रांताओं के नाम पर किसी भी मेले या आयोजन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके बजाय, भारत के गौरवशाली इतिहास और वीर नायकों को सम्मान देने के लिए आगामी 10 जून को महाराजा सुहेलदेव राजभर की जयंती पर भव्य मेला आयोजित होगा। यह मेला न सिर्फ उत्सव होगा, बल्कि भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा के प्रति एक संकल्प भी होगा।
आक्रांताओं की नहीं, वीरों की गाथा को सम्मान
डॉ. अरविंद राजभर ने अपने जोशीले बयान में कहा, “विदेशी लुटेरों ने भारत पर आक्रमण कर 585 रियासतों को हराने की कोशिश की। उन्होंने हमारी संस्कृति, सभ्यता और सनातन परंपरा को कुचलने का षड्यंत्र रचा। महिलाओं और बच्चियों पर अत्याचार किए, सोमनाथ मंदिर जैसे पवित्र स्थलों को तहस-नहस कर दिया। क्या ऐसे आक्रांताओं के नाम पर मेले लगाने की इजाजत दी जा सकती है? कदापि नहीं!”
उन्होंने संभल में आक्रांताओं के नाम पर मेले के खिलाफ उठी आवाज का समर्थन करते हुए कहा कि सुभासपा इस मुद्दे पर जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। उनका मानना है कि मेले और उत्सव भारतीय वीरों की शौर्यगाथाओं को समर्पित होने चाहिए, न कि उन लुटेरों को, जिन्होंने भारत को खून से लाल कर दिया।
महाराजा सुहेलदेव: राष्ट्रवीर की अमर कहानी
डॉ. राजभर ने महाराजा सुहेलदेव को चक्रवर्ती सम्राट और राष्ट्रवीर का दर्जा देते हुए उनकी वीरता को याद किया। “बहराइच के मैदान में विदेशी आक्रांताओं को धूल चटाकर महाराजा सुहेलदेव ने भारत की संस्कृति और सम्मान की रक्षा की। ऐसे नायकों के नाम पर मेले लगने चाहिए, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा दें।” उनका सुझाव है कि अगर मेला लगाना ही है, तो महाराजा सुहेलदेव राजभर, पृथ्वीराज चौहान, गुहराज निषाद, दामोदर चापेकर और अशफाक उल्ला खान जैसे देशभक्तों के नाम पर लगाया जाए। ये नाम भारत के स्वाभिमान और शौर्य के प्रतीक हैं।
सरकार और जनता से अपील
सुभासपा ने केंद्र और राज्य सरकार से इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाने की मांग की है। डॉ. राजभर ने कहा, “सरकार को चाहिए कि विदेशी आक्रांताओं के नाम पर होने वाले आयोजनों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाए। जनता को भी आगे आकर यह मांग करनी चाहिए कि हमारे नायकों को सम्मान मिले, न कि लुटेरों को।” पार्टी ने सरकार को भरोसा दिलाया कि इस पहल में वह पूरा समर्थन देगी।
10 जून को होगा भव्य आयोजन
आगामी 10 जून को महाराजा सुहेलदेव राजभर की जयंती पर पूरे राज्य में मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम मचेगी। यह आयोजन सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और ऐतिहासिक गौरव को पुनर्जनन का एक माध्यम बनेगा। सुभासपा का संकल्प है कि राष्ट्रवीरों की गाथा को जन-जन तक पहुंचाया जाए, ताकि नई पीढ़ी अपने इतिहास पर गर्व कर सके।
एक नया संदेश, एक नई शुरुआत
सुभासपा ने अपनी मंशा साफ कर दी है- विदेशी आक्रांताओं के नाम पर मेले का आयोजन किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं होगा। यह सिर्फ एक विरोध नहीं, बल्कि भारतीय अस्मिता को फिर से स्थापित करने की मुहिम है। अब सवाल यह है कि क्या सरकार और जनता इस आह्वान के साथ कदम बढ़ाएगी? 10 जून का मेला शायद इस सवाल का जवाब देगा, जब महाराजा सुहेलदेव की वीरगाथा फिर से गूंज उठेगी।