नई दिल्ली, 21 मार्च 2025, शुक्रवार। हाल ही में जारी एक प्रेस नोट ने देश के राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल वसूली और उनकी बदहाल स्थिति को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोकसभा में नागौर सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल ने केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से जयपुर से दिल्ली तक के राष्ट्रीय राजमार्ग (पुराना NH-8, अब NH-48) के निर्माण और टोल वसूली को लेकर सवाल उठाया। जवाब में जो आंकड़े सामने आए, वे चौंकाने वाले हैं।
निर्माण से ज्यादा वसूली: आंकड़ों की कहानी
मंत्री गडकरी ने बताया कि जयपुर से कोटपुतली और गुड़गांव तक सड़क निर्माण पर 6430 करोड़ रुपये खर्च हुए, लेकिन टोल के रूप में 9218.30 करोड़ रुपये वसूल किए गए। यानी निर्माण लागत से करीब 2788 करोड़ रुपये ज्यादा की वसूली। इसी तरह, गुड़गांव से दिल्ली तक 2489.45 करोड़ रुपये की लागत पर बनी सड़क से 2727.50 करोड़ रुपये टोल के रूप में जमा किए गए। ये आंकड़े साफ तौर पर बताते हैं कि सरकार और टोल संचालक सड़क निर्माण की लागत को कई गुना वसूल कर मुनाफा कमा रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि इतनी भारी-भरकम वसूली के बावजूद सड़कों की हालत क्यों नहीं सुधर रही?
राजस्थान में टोल वसूली का बोलबाला
सांसद बेनीवाल के सवाल पर यह भी खुलासा हुआ कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में राष्ट्रीय राजमार्गों से सबसे ज्यादा टोल वसूली उत्तर प्रदेश में हुई (6695 करोड़ रुपये), उसके बाद राजस्थान का नंबर आया जहां 5885 करोड़ रुपये वसूले गए। महाराष्ट्र 5352 करोड़ रुपये के साथ तीसरे स्थान पर रहा। राजस्थान, जो अपनी सड़कों के लिए जाना जाता है, वहां टोल का यह आंकड़ा आम जनता के लिए परेशानी का सबब बन गया है।
टोल दो, सुविधा कहां?
हनुमान बेनीवाल ने अपने सवाल में यह मुद्दा भी उठाया कि भारी-भरकम टोल वसूली के बावजूद सड़कों की स्थिति बदहाल क्यों है? उनका कहना था कि जब सुप्रीम कोर्ट तक यह कह चुका है कि देश की सड़कें खराब हालत में हैं, तो फिर सफर करने वाले टोल क्यों दें? सड़कों के गड्ढे, टूटी-फूटी हालत और रखरखाव की कमी से हर रोज लाखों लोग परेशान होते हैं। बेनीवाल ने इसे आम आदमी पर अन्याय करार देते हुए कहा कि सरकार पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का कोई असर नहीं दिख रहा।
टोल मुक्त सड़कों की मांग
सांसद ने एक कदम आगे बढ़ते हुए टोल व्यवस्था पर सवाल उठाया। उनका तर्क था कि जब वाहन खरीदते समय रोड टैक्स लिया जाता है, तो हर रोज टोल टैक्स क्यों वसूला जाए? राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी लंबे समय से टोल मुक्त सड़कों की वकालत करती रही है। बेनीवाल ने सरकार से अप्रत्यक्ष रूप से वसूले जा रहे इस टोल पर पुनर्विचार करने की मांग की, ताकि जनता को राहत मिल सके।
जनता के हक की लड़ाई
यह पूरा मामला सड़क निर्माण और टोल वसूली के बीच संतुलन की कमी को उजागर करता है। एक तरफ सरकार और टोल कंपनियां भारी मुनाफा कमा रही हैं, वहीं दूसरी ओर जनता को खस्ताहाल सड़कों के साथ-साथ जेब ढीली करने की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। सांसद हनुमान बेनीवाल का यह सवाल न सिर्फ राजस्थान बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ी बहस का मुद्दा बन सकता है। क्या सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाएगी, या जनता को टोल के बोझ तले दबे रहना होगा? यह सवाल अभी अनुत्तरित है।