वाराणसी, 12 मार्च 2025, बुधवार। वाराणसी में होली के त्योहार की रौनक और खुमारी चहुंओर दिखने लगी है। इस त्योहार के पूर्व, लमही स्थित सुभाष भवन में बुधवार को एक अनोखा आयोजन हुआ, जिसमें मुस्लिम महिला फाउण्डेशन एवं विशाल भारत संस्थान ने मिलकर होली उत्सव का आयोजन किया। इस आयोजन में मुस्लिम महिलाओं ने अबीर गुलाल से जमकर होली खेली, जबकि हिन्दू समाज की महिलाओं ने उनका साथ देते हुए परम्परागत होली गीत गाए। यह आयोजन जाति धर्म की दीवारों को धूमिल करने का एक अनोखा प्रयास था।
इस आयोजन में शामिल होने वाली महिलाओं ने बताया कि होली का त्योहार हमें एकता और सामाजिक समरसता का संदेश देता है। हमें इस त्योहार के माध्यम से जाति धर्म की दीवारों को तोड़ने और एक दूसरे के साथ मिलकर रहने का संदेश मिलता है। इस आयोजन के आयोजकों ने बताया कि हमारा उद्देश्य होली के त्योहार के माध्यम से समाज में एकता और समरसता को बढ़ावा देना है। हमें उम्मीद है कि इस आयोजन से लोगों को एक दूसरे के साथ मिलकर रहने का संदेश मिलेगा।
गुलाब की पंखुड़ियों के साथ हरे, लाल गुलाल और गुलाब जल के मिश्रण की बारिश के बीच मुस्लिम महिलाओं ने भी ढोल की थाप पर “होली खेलें रघुराई अवध में, कृष्ण कन्हाई गोकुल में हो…. गीत गाकर एकता, प्रेम, सद्भाव का संदेश दिया। इस दौरान मुस्लिम महिला फाउण्डेशन की नेशनल सदर नाज़नीन अंसारी ने कहा कि होली हमारे पूर्वजों और महान भारतीय संस्कृति का त्याैहार है। इसे नहीं खेलेंगे तो हम जन्नत में जाकर अपने पूर्वजों को क्या जबाव देंगे। हम न अरबी हैं, न ईरानी और न तुर्की। इसलिए हम उनकी संस्कृति किसी कीमत पर नहीं मानेंगे।
संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजीव ने कहा कि जिन लोगों को होली के रंग से परहेज है वो रंगरेज (कपड़ों काे रंगने वाले) को कैसे मना करेंगे। बीमार पड़ने पर खून तो वो किसी का चढ़वा लेते हैं। जब जान बचानी हो तो कोई हद नहीं है, जब देश बचाना हो तो नफरत की आग लगाएंगे। संस्थान की केन्द्रीय परिषद सदस्य डॉ नजमा परवीन ने मुस्लिम समाज काे लेकर नसीहत भरी बात कही। उन्हाेंने समाज के हाेली न खेलने की ताकीद देने वालाें लाेगाें के लिए कहा कि जिनकी जिंदगी खुद बदरंग है वो क्या होली खेलेंगे ? हम होली के रंग से नफरत की आग बुझाएंगे और जन्नत भी जाएंगे। हमें किसी के सलाह की जरूरत नहीं। हम भगवान श्री राम और श्री कृष्ण की संतान हैं, हमें कोई अलग नहीं कर सकता।
कार्यक्रम में खुर्शीदा बानो, नगीना, समशुननिशा, करीमुननिशा, जुलेखा, महरुननिशा, शाहीन परवीन, सरोज, गीता, रमता, मैना, पार्वती, इली, खुशी आदि ने पूरे उल्लास के साथ भागीदारी की।