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Wednesday, March 12, 2025

भारत भूमि का टुकड़ा मात्र नहीं, बल्कि भारत एक जीवन दर्शन है – दत्तात्रेय होसबाले

नोएडा, 11 मार्च 2025, मंगलवार। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने मंगलवार को पंचशील बालक इंटर कॉलेज के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में ‘विमर्श भारत का’ पुस्तक का विमोचन किया। पुस्तक का प्रकाशन सुरुचि प्रकाशन ने किया है। सरकार्यवाह ने समारोह में इंडिया टीवी की वरिष्ठ पत्रकार मीनाक्षी जोशी को प्रेरणा सम्मान 2024 प्रदान किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सरकार्यवाह होसबाले ने कहा कि भारत की राष्ट्रीयता के संबंध में कई विचार आए, जो टूट गया क्या वही भारत है? क्या भारत एक जमीन का टुकड़ा है? या संविधान से चलने वाला केवल एक भारत है? केवल ऐसा नहीं है, भारत एक जीवन दर्शन है, आध्यात्मिक प्रतिभूत है। विश्व को संदेश देने वाला विश्वगुरु है।
उन्होंने कहा कि प्रेरणा संस्थान पिछले कुछ वर्षों से समाज में वैचारिक और बौद्धिक परिवर्तन लाने का सार्थक प्रयास कर रहा है। विशेष रूप से मीडिया क्षेत्र में सफल हस्तक्षेप है। आज विमर्श भारत का पुस्तक का लोकार्पण हुआ है। यह प्रेरणा संस्थान के योगदान से पिछले 4 वर्षों में विमर्श के संदर्भ में चार आयामों को निश्चित करते हुए उसके संदर्भ में संकलित और संक्षेप में चार विमर्शों का संकलित ग्रंथ है। इसमें लोक, राष्ट्र और मानव हित में क्या होना चाहिए और सही क्या है, एक महत्वपूर्ण दिशा है।
सरकार्यवाह ने कहा कि महाकुम्भ विमर्श ने एक महासमर खोल दिया है। महाकुम्भ से निकले ऐसे कई विमर्श अलग-अलग दिशा में लोगों का मार्गदर्शन करेंगे। अब इंडिया नहीं, भारत कहना है और इसे ठीक करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि भारत के संबंध में बहुत भ्रामक बातें फैलाई गईं। भारत को कहा गया कि भारत केवल एक कृषि प्रधान देश है, यहां किसी भी प्रकार का उद्योग नहीं है, जबकि यह सत्य नहीं है। 1600 ईस्वी में भारत की विश्व व्यापार में लगभग 23 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी तो यह केवल क्या कृषि की थी, ऐसा नहीं है। अगर हम वैश्विक दृष्टि से देखें तो प्राचीन समय से ही हम किसी भी क्षेत्र में कम नहीं थे। हमने अपने स्वाभिमान को खोया। हमारी शिक्षा पद्धति नष्ट हुईं, जो बाहरी आक्रांता आए उन्होंने हमारे देश का दमन किया।
उन्होंने कहा कि आज भारत स्वतंत्र है, उसका मस्तिष्क स्वतंत्र है। पहले के दशकों में पढ़ाया जाता था कि भारत का गणित और विज्ञान के क्षेत्र में कोई योगदान नहीं है। भारत के इतिहास को तोड़ा और मरोड़ा गया है, जबकि भारत का इतिहास समृद्धि से भरा पड़ा है। आज यह महत्वपूर्ण है कि विश्व के बहुत से लोग भारत के बारे में एक सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं। The India, They Saw नामक पुस्तक के चार खंडों में विस्तार से इसका उल्लेख किया गया है। भारत को लेकर विश्व के लोगों ने क्या कहा है, इस पुस्तक में विस्तार से समझने और पढ़ने का अवसर मिलेगा।
उन्होंने कहा कि भारत का मूल परिचय संस्कृति का परिचय है। आचरण के महान आदर्श हैं। व्यक्ति की दिशा ठीक होनी चाहिए। दिशा ठीक होने से लक्ष्य आसान हो जाता है। दिशा ठीक नहीं होने से व्यक्ति भ्रमित होता है और जीवन में अपना लक्ष्य भी निश्चित नहीं कर पाता। भारत में हमारे जो पूर्वज थे, उन्होंने निश्चय कर लिया था कि किसी भी स्थिति में अपनी संस्कृति की रक्षा करनी है और अपने विचार को बचा कर रखना है। काल के प्रवाह में भी इस देश की संस्कृति कभी नष्ट नहीं हुई, हमारे देश के मनीषियों ने इसे अलग-अलग रूप में प्रस्तुत किया है।
भारत को दुनिया में कौन सी भूमिका निभानी चाहिए, तो हमारे ऋषियों ने कहा है – आत्मनो मोक्षार्थं जगद्धिताय च, स्वयं के मोक्ष के लिए और जगत के हित के लिए जीना चाहिए, कार्य करना चाहिए। भारत का लक्ष्य ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया’ का है। हमारे देश के लोगों का भाव उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्, का है। भारत सारे विश्व की मानवता के बारे में विचार करता है। उन्होंने गुरु रामदास का उदाहरण देते हुए कहा कि वे बचपन में भी पूरे विश्व के बारे में चिंता करते थे। भारत उठेगा, विश्व का दीप स्तंभ बनने के लिए भारत को अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ेगा और मजबूत होना पड़ेगा। हमारा दायित्व बनता है कि हम पूरे भारत में शांति स्थापित करें। पूरी दुनिया में विमर्श की लड़ाई है। भारत में भी तरह-तरह के विमर्श चलाए जाते हैं। हमें सत्य लिखना है, सत्य बोलना है और सत्य ही दिखाना है। यह बौद्धिक संघर्ष की बात है। जब बौद्धिक संघर्ष की बात आती है तो हमारा ध्येय सत्य की स्थापना, खोज और जीना होना चाहिए।
कार्यक्रम अध्यक्ष न्यूज 24 की प्रधान संपादक अनुराधा प्रसाद ने कहा कि युवा पीढ़ी हमारे देश को आगे लेकर जाएगी। उसे समाज के साथ सरोकार रखना पड़ेगा। परिवार, समाज और देश के साथ कैसे जुड़ना और आगे बढ़ाना है, हमें यह सोचना है। इस मौके पर मंच पर प्रेरणा शोध संस्थान न्यास की अध्यक्ष प्रीति दादू, प्रेरणा विमर्श के अध्यक्ष अनिल त्यागी और सुरुचि प्रकाशन के अध्यक्ष राजीव तुली और सह क्षेत्र संघचालक पश्चिमी उत्तर प्रदेश प्रोफेसर नरेंद्र तनेजा उपस्थित रहे।

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