वाराणसी, 5 मार्च 2025, बुधवार। महाकुंभ के बाद, काशीपुराधिपति की नगरी वाराणसी में नागा साधु एक अद्वितीय परंपरा को निभा रहे हैं। मणिकर्णिका घाट पर संकल्प और बाबा विश्वनाथ के दर्शन के साथ, 300 से अधिक नागा साधु पंचक्रोशी यात्रा पर निकले। यह यात्रा एक पवित्र अनुभव है, जिसमें नागा साधु पांच पड़ावों को पांच दिनों में पूरा करेंगे। सुबह अखाड़े से निकलकर, साधु-संत नाव पर सवार होकर मणिकर्णिका घाट पहुंचे, जहां उन्होंने संकल्प लिया और बाबा विश्वनाथ के धाम पहुंचे। वहां, उन्होंने बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया और नाव पर सवार होकर अस्सी घाट पहुंचे।
अस्सी घाट से, उन्होंने पैदल अपनी परिक्रमा की शुरुआत की। अस्सी घाट से पैदल पंचक्रोशी का पहला पड़ाव कंदवा स्थित कर्मदेश्वर महादेव मंदिर पहुंचेंगे। वहां विश्राम करने के बाद अगले दिन सुबह पूजन-अर्चन कर अगले पड़ाव भीमचंडी के लिए निकलेंगे। इसके बाद रामेश्वर, पांचों पंडवा होकर अंतिम पड़ाव कपिलधारा होते हुए पुनः मणिकर्णिका पहुंचकर संकल्प पूरा करेंगे। पांच दिनों तक प्रतिदिन 15-15 किमी की यात्रा तय करेंगे। पांचों पड़ाव के देव स्थलों पर पूजन-अर्चन करेंगे।
श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के थानापति विवेक भारती ने बताया कि यह यात्रा नागा साधुओं के लिए एक महत्वपूर्ण अनुभव है, जिसमें वे अपने आराध्य के मंदिरों का दर्शन-पूजन कर पाते हैं। इस यात्रा के माध्यम से, नागा साधु अपनी आध्यात्मिक यात्रा को आगे बढ़ाते हैं और अपने देवताओं के साथ जुड़ते हैं। दूसरी ओर, निरंजनी अखाड़े के साधु-संत नौ मार्च को सुबह पंचक्रोशी यात्रा पर निकलेंगे। अखाड़े के श्रीमहंत रवींद्र गिरि महाराज ने बताया कि हरिद्वार से अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि महाराज दो-तीन दिन में काशी आ रहे हैं। इसके बाद उनकी अगुवाई में 200 से अधिक नागा साधु-संत पंचक्रोशी यात्रा शामिल होंगे।