नई दिल्ली, 3 मार्च 2025, सोमवार। मुंबई की एक विशेष अदालत ने सेबी की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच और पांच अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है। उन पर शेयर बाजार में कथित धोखाधड़ी और नियामकीय उल्लंघन के आरोप लगे हैं। मुंबई स्थित विशेष एसीबी अदालत के न्यायाधीश शशिकांत एकनाथराव बांगर ने पारित आदेश में कहा, प्रथम दृष्टया विनियामकीय चूक और मिलीभगत के सबूत हैं, जिसकी निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है। अदालत ने कहा कि वह जांच की निगरानी करेगा और 30 दिनों के भीतर मामले की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने आदेश में यह भी कहा है कि आरोपों से संज्ञेय अपराध का पता चलता है, जिसके लिए जांच जरूरी है।
आदेश में कहा गया है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की निष्क्रियता के कारण सीआरपीसी (आपराधिक प्रक्रिया संहिता) के प्रावधानों के तहत न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत है। माधबी बुच के अलावा जिन अन्य अधिकारियों के खिलाफ अदालत ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है, उनमें बीएसई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सुंदररामन राममूर्ति, इसके तत्कालीन चेयरमैन और जनहित निदेशक प्रमोद अग्रवाल और सेबी के तीन पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण जी और कमलेश चंद्र वार्ष्णेय शामिल हैं।
शिकायतकर्ता ने लगाए गंभीर आरोप
आरोप में कहा गया है कि एक कंपनी को 1992 के सेबी अधिनियम और उसके तहत नियमों और विनियमों के अनुपालन के बिना स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग की गई थी। आरोप में कहा गया है कि इस लिस्टिंग में नियामक एजेंसियां, खास तौर से सेबी की सक्रिय मिलीभगत रही है। शिकायतकर्ता सपन श्रीवास्तव, जो एक मीडिया रिपोर्टर हैं, ने दावा किया कि सेबी के अधिकारियों अपनी वैधानिक जिम्मेदारी निभाने में नाकामयाब रहे हैं। आरोप लगाया गया कि सेबी ने बाजार में हेरफेर को शह दिया और एक ऐसे कंपनी को लिस्टिंग की इजाजत दिया जो तय मानदंडों को पूरा नहीं करती थी। शिकायतकर्ता ने कहा कि पुलिस स्टेशन और संबंधित नियामक निकायों से कई बार संपर्क करने के बावजूद, उनके द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।
क्या सही थे हिंडनबर्ग के आरोप?
भारत की पहली महिला सेबी प्रमुख बुच पर अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग की ओर से हितों के टकराव के आरोप लगाए गए थे और इसके बाद राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ा था। पिछले सप्ताह उनका कार्यकाल खत्म हुआ है। उनकी जगह ओडिशा कैडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी तुहिन कांत पांडे को सेबी का प्रमुख नियुक्त किया गया है। पिछले साल अगस्त में, बुच पर इस्तीफा देने का दबाव डाला गया जब हिंडनबर्ग रिसर्च ने उन पर हितों के टकराव का आरोप लगाया। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि अदाणी समूह में हेरफेर और धोखाधड़ी के दावों की गहन जांच को रोक दिया।
हिंडनबर्ग ने माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर आरोप लगाया कि उन्होंने ऑफशोर संस्थाओं में निवेश किया, जो कथित तौर पर एक फंड संरचना का हिस्सा थीं जिसमें विनोद अदानी (अदानी समूह के संस्थापक अध्यक्ष गौतम अदानी के बड़े भाई) ने भी निवेश किया था। बुच ने इस आरोप का खंडन किया था, यह कहते हुए कि निवेश उनके नियामक में शामिल होने से पहले किए गए थे और उन्होंने सभी आवश्यकताओं का पालन किया था। बता दें हिंडनबर्ग ने हाल ही में अपने व्यवसाय को बंद करने की घोषणा की।
आदेश के खिलाफ उचित कानूनी कदम उठाएंगे
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बयान जारी कर कहा कि वह मुंबई की स्पेशल एंटी-करप्शन कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देगा, जिसमें पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और अन्य अधिकारियों के खिलाफ कथित शेयर बाजार घोटाले और नियामकीय अनियमितताओं के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया है। सेबी ने इस आदेश को निराधार और शिकायतकर्ता को ‘फिजूल और आदतन याचिकाकर्ता’ करार देते हुए कहा कि नियामक इस आदेश के खिलाफ कानूनी कदम उठाएगा।
सेबी ने अपने बयान में कहा कि शिकायतकर्ता पहले भी अदालतों में इसी तरह की कई याचिकाएं दायर कर चुका है, जिनमें से कई मामलों में उसे अदालत ने जुर्माने के साथ खारिज किया है। सेबी इस आदेश के खिलाफ उचित कानूनी कदम उठाएगा और हर मामले में नियामकीय अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। सेबी ने कहा कि ये आदेश उन अधिकारियों के खिलाफ दिया गया है, जो उस समय संबंधित पदों पर कार्यरत भी नहीं थे। इसके बावजूद, कोर्ट ने सेबी को नोटिस जारी किए बिना और हमें अपना पक्ष रखने का मौका दिए बिना यह आदेश पारित कर दिया।