नई दिल्ली, 1 मार्च 2025, शनिवार। रूस और यूक्रेन के बीच सुलह से पहले अमेरिका ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से एक महत्वपूर्ण खनिज समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा था। लेकिन जब जेलेंस्की और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच ओवल ऑफिस में बैठक हुई, तो वहां तीखी बहस हो गई। ट्रंप ने जेलेंस्की को खुली धमकी देते हुए कहा कि उनके लिए बुरे दिन शुरू हो रहे हैं।
इस बहस के बाद, जेलेंस्की अमेरिका के साथ खनिज समझौते पर हस्ताक्षर किए बिना ही व्हाइट हाउस से रवाना हो गए। ट्रंप ने इस समझौते को यूक्रेन को भविष्य में समर्थन देने की शर्त बताया था। ट्रंप ने जेलेंस्की से कहा कि जब वह शांति के लिए तैयार हों तभी वापस आएं।
ट्रंप-जेलेंस्की की तीखी बहस: व्हाइट हाउस से अचानक चले गए यूक्रेन के राष्ट्रपति
व्हाइट हाउस में ट्रंप और जेलेंस्की के बीच हुई तीखी बहस के बाद, जेलेंस्की शुक्रवार दोपहर को व्हाइट हाउस से चले गए। ट्रंप ने जेलेंस्की के साथ बातचीत को बीच में ही रोक दिया और ओवल ऑफिस में दोनों के बीच तीखी बहस हो गई। ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने जेलेंस्की के बर्ताव को अपमानजनक बताया, जब उन्होंने सुरक्षा की गारंटी मांगी थी।
खनिजों की दुनिया में अमेरिका की नई रणनीति: चीन को पछाड़ने की कोशिश
दुर्लभ खनिजों की मांग बढ़ रही है और यह आधुनिक तकनीक और रक्षा उपकरणों के लिए बेहद जरूरी हैं। इन खनिजों का इस्तेमाल स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहनों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित उपकरणों, हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक्स और अत्याधुनिक हथियारों के निर्माण में किया जाता है।
ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के कारण इन खनिजों की मांग तेजी से बढ़ी है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) के मुताबिक, 2022 में इनका ग्लोबल मार्केट 320 अरब पाउंड तक पहुंच गया था। अगर क्लाइमेट चेंज से जुड़ी नीतियों को पूरी तरह लागू किया जाए तो 2030 तक इनकी मांग दोगुनी और 2040 तक तीन गुना हो सकती है।
अमेरिका के लिए ये खनिज आर्थिक रूप से भी बेहद खास हैं। दुनिया में इन खनिजों के सबसे बड़े उत्पादकों में चीन का नाम आता है और अमेरिका अपनी इस निर्भरता को कम करना चाहता है। इसी वजह से अमेरिका यूक्रेन जैसे खनिज-समृद्ध देशों से समझौते पर जोर दे रहा है। रूस ने पहले ही यूक्रेन के कई खनिज-समृद्ध क्षेत्रों पर कब्जा जमा लिया है।