वाराणसी, 23 फरवरी 2025, रविवार। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने रविवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में काशी तमिल संगमम के अकादमिक सत्र में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने ‘परंपरा, प्रौद्योगिकी और विश्व’ विषय पर अपने संबोधन में कहा कि काशी दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है और पूरे भारत के लिए यह एक सांस्कृतिक मैग्नेट की तरह है।
उन्होंने तमिलों के काशी से विशेष लगाव को रेखांकित किया और कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा काशी-तमिल संगमम आयोजित करने का उद्देश्य भारत को संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं का संगम बनाना था। उन्होंने कहा कि काशी-तमिल का जुड़ाव बहुत ही खास है और इस कार्यक्रम में तमिलनाडु से बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए हैं।
विदेश मंत्री ने राष्ट्रवादी कवि सुब्रमण्यम भारती का उल्लेख किया, जो काशी में रहते थे और उनकी कई रचनाएं यहीं हुई थीं। उन्होंने इस वर्ष के विषय अगस्त्य नामक संत को भी याद किया, जो भारत के 7 बड़े ऋषियों में से एक थे। उन्होंने कहा कि तमिल व्याकरण अगस्त्य द्वारा रचित था और उन्हें चिकित्सा के स्कूल सिद्धि की स्थापना का श्रेय भी दिया जाता है।
इससे पूर्व, भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर आईआईटी बीएचयू वाराणसी के भावी इंजीनियरों के साथ संवाद किया। वह फैकल्टी ऑफ आर्ट्स स्थित पंडित ओंकार नाथ ठाकुर ऑडिटोरियम में लगभग 200 आईआईटियंस विद्यार्थियों से मुलाकात किया। इस दौरान वह छात्रों, संकाय सदस्यों और शोधकर्ताओं से बातचीत कर भारत की विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रगति पर चर्चा किया, साथ ही विदेश मंत्री काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और आईआईटी बीएचयू के विभिन्न विभागों और अनुसंधान प्रयोगशालाओं का दौरा भी किया।
इस संवाद कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को प्रेरित करना, विदेश नीति की बारीकियों से अवगत कराना और नवाचार व शोध को बढ़ावा देना था। आईआईटी बीएचयू के छात्रों के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर था, जहां वे देश की विदेश नीति, कूटनीति और वैश्विक चुनौतियों पर अपनी जिज्ञासाओं को विदेश मंत्री संग साझा करने का मौका मिला।