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Saturday, February 22, 2025

काशी में श्रद्धालुओं की भारी भीड़: रहने के लिए जगह नहीं, गंगा घाट पर खुले आसमान के नीचे सोना पड़ रहा है

वाराणसी, 21 फरवरी 2025, शुक्रवार। ‘क्षेत्रे भोजन, मठे निद्रा’ कहते है काशी के हर क्षेत्र में भोजन और मठ मंदिरों में रहने की व्यवस्था है। काशी सिर्फ शिव की नगरी ही नहीं बल्कि अन्नपूर्णा की भी नगरी है। ऐसी मान्यता है कि यहां कोई भी भूखा नहीं सो सकता, यहां के गली-गली में रहने के लिए मठ धर्मशाला की व्यवस्था है। लेकिन महाकुंभ पर्व पर उमड़ी भीड़ के कारण यह अवधारणा भी टूट गई। श्रद्धालुओं को रहने के लिए कोई जगह नहीं मिल रही है, जिसके कारण उन्हें गंगा घाट किनारे रात में खुले आसमान के नीचे सोना पड़ रहा है। यहां कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं है, जिससे किसी अप्रिय घटना से इंकार नहीं किया जा सकता है। श्रद्धालुओं ने बताया कि रहने के साथ ही दैनिक नित्यकर्म के लिए भी उन्हें जूझना पड़ रहा है। शौचालय और स्नान की व्यवस्था नहीं होने से उन्हें बहुत परेशानी हो रही है।
महाकुंभ की महाशिवरात्रि पर काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटने की संभावना है। पिछले एक महीने से अब तक दो करोड़ से ज्यादा भक्त बाबा का दर्शन कर चुके हैं। अभी भी श्रद्धालुओं के काशी आने का क्रम जारी है, लेकिन वाराणसी के सभी होटल, लॉज, गेस्ट हाउस, मठ और धर्मशाला भरे पड़े हैं। इस स्थिति को देखते हुए प्रशासन को श्रद्धालुओं के लिए रहने और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था करनी चाहिए। ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो और वे अपनी यात्रा को सुखद और सुरक्षित बना सकें।

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