नई दिल्ली, 11 फरवरी 2025, मंगलवार। माघी पूर्णिमा 12 फरवरी को मनाई जाएगी। इस तिथि पर भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ करने की परंपरा है। यह कथा पांच अध्यायों में है और इसमें सत्य का पालन करने और भगवान में आस्था बनाए रखने का संदेश दिया गया है।
भगवान सत्यनारायण की कथा का महत्व
भगवान सत्यनारायण की कथा का महत्व धर्म-कर्म के नजरिए से काफी अधिक है। यह कथा हमें सत्य का पालन करने और भगवान में आस्था बनाए रखने का संदेश देती है। झूठ और अधर्म के रास्ते पर चलने से जीवन में परेशानियां आती हैं।
पूजा विधि
भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ करने के लिए निम्नलिखित पूजन सामग्री की आवश्यकता होती है:
भगवान सत्यनारायण की प्रतिमा या चित्र
पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और मिश्री से बना पंचामृत
फल-फूल
तुलसी पत्ते
भोग के लिए हलवा और चूरमा
नारियल, केले और आम के पत्ते
भगवान के श्रृंगार के वस्त्र आदि
कुमकुम, गुलाल, अबीर जैसी पूजन सामग्री
धूप-दीप
कथा की किताब
पूजा विधि इस प्रकार है:
स्नान के बाद सत्यनारायण भगवान की फोटो या मूर्ति स्थापित करें।
पंचामृत से अभिषेक करें और फल-फूल चढ़ाएं।
श्रृंगार करें।
धूप-दीप जलाएं।
पूजन सामग्री चढ़ाएं।
तुलसी के साथ भोग लगाएं।
कथा का पाठ करें।
प्रसाद अर्पित करें और परिवार के सदस्यों में बांटें।