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Thursday, February 6, 2025

पाकिस्तान से आए हिंदू श्रद्धालुओं ने महाकुंभ में ली डुबकी, कहा- “यहां आने पर सनातन धर्म में जन्म लेने के गौरव की अनुभूति हो रही है”

प्रयागराज, 6 फरवरी 2025, गुरुवार। प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले में पाकिस्तान से आए 68 हिंदू श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई और इस अवसर को अपने जीवन का सबसे यादगार पल बताया। सिंध प्रांत के इन श्रद्धालुओं ने कहा कि महाकुंभ की दिव्यता के बारे में सोशल मीडिया पर देख-सुनकर वे खुद को यहां आने से रोक नहीं सके।
सेक्टर-9 में स्थित श्रीगुरुकार्ष्णि के शिविर में मीडिया से बातचीत में सिंध से आए गोबिंद राम माखीजा ने कहा, “हमने जब से महाकुंभ मेले के बारे में सुना है, तब से हमारी इच्छा थी कि हम यहां आएं। हम खुद को यहां आने से रोक नहीं सके।” माखीजा ने कहा, “यहां अजब आनंद आ रहा है, बेहद खुशी हो रही है… यहां का अनुभव बयां करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। कल हम गंगा में डुबकी लगाएंगे। यहां आने पर हमें सनातन धर्म में जन्म लेने के गौरव की अनुभूति हो रही है।”
माखीजा ने बताया कि पिछले वर्ष अप्रैल माह में 250 लोग पाकिस्तान से प्रयागराज आए थे और गंगा में डुबकी लगाई थी। इस बार सिंध के छह जिलों-गोटकी, सक्कर, खैरपुर, शिकारपुर, कर्जकोट और जटाबाल से 68 लोग प्रयागराज पहुंचे हैं, जिनमें करीब 50 लोग पहली बार महाकुंभ में आए हैं। सिंध प्रांत के गोटकी से आई 11वीं कक्षा की छात्रा सुरभि ने बताया कि वह पहली बार भारत आई है। उसने कहा, “यहां पहली बार हमें अपने धर्म को गहराई से देखने-जानने का मौका मिल रहा है। बहुत अच्छा लग रहा है।”
वहीं, सिंध से आई प्रियंका ने कहा, “मैं पहली बार भारत और इस महाकुंभ में आई हूं। यहां अपनी संस्कृति को देखकर बहुत दिव्य अनुभव हो रहा है। मैं गृहणी हूं और भारत आना मेरा सबसे बड़ा सौभाग्य है। हम पैदा ही वहां हुए और मुस्लिमों के बीच ही रहे। सिंध प्रांत में हिंदुओं के साथ बहुत भेदभाव नहीं है, जैसा कि मीडिया दिखाती है। लेकिन अपनी संस्कृति को जानने का मौका हमें यहां आकर मिल रहा है।”
सक्कर जिले से आए निरंजन चावला ने कहा, “भारत सरकार से निवेदन करना चाहूंगा कि वीजा जारी करने की प्रक्रिया थोड़ी आसान की जाए। अभी वीजा मिलने में छह महीने लग जाते हैं। हालांकि, यहां आए जत्थे को सरलता से वीजा दिया गया, जिसके लिए हम भारत सरकार को धन्यवाद देते हैं।” चावला ने बताया, “कल रात हम महाकुंभ के इस शिविर में आए और आठ फरवरी को यहां से रायपुर जाएंगे, जिसके बाद हम हरिद्वार की यात्रा करेंगे। हमारे जत्थे में लोग छह अस्थि कलश लेकर आए हैं, जिन्हें वे हरिद्वार में विसर्जित करेंगे।”

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