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Monday, July 21, 2025

महाकुंभ: पाकिस्तान के लिए एक सपना जो कभी पूरा नहीं हो सकता

नई दिल्ली, 7 जनवरी 2025, मंगलवार। आर्थिक तंगी से जूझ रहा पाकिस्तान भुखमरी से तड़प रहा है। दिन पर दिन पाकिस्तान में भुखमरी की दर बढ़ते ही जा रही है। बताने की जरूरी नहीं, रमजान के महीने में भी पाकिस्तान को आटे की पैकेट के लिए लंबी-लंबी लाइनों में धक्का मुक्की करनी पड़ी थी। पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ते ही जा रहा है। आपको बता दें, इस देश के हर नागरिक पर तीन लाख रुपये का कर्ज है। देश में चाहे सैन्य हो या लोकतांत्रिक सरकार, सभी ने अंतरराष्ट्रीय से कर्ज लेकर काम चलाया है। दूसरी ओर, प्रयागराज में महाकुंभ मेले की भव्यता और आस्था के इस महापर्व की तस्वीरें पाकिस्तान में हर किसी को हैरान परेशान कर रही हैं। पाकिस्तानी लोग अपने घरों में बैठे इन तस्वीरों को इंटरनेट पर देखकर दंग हैं। सनातन धर्म के इतने रंग देखकर पाकिस्तानियों को ऐसा लग रहा है मानो वो कोई सपना देख रहे हों।
पाकिस्तान में जहां एक तरफ अराजकता पसरी है, बलूचिस्तान में आतंकवादी हमले हो रहे हैं, और तालिबान ने हमला बोल रखा है, वहीं दूसरी तरफ हिंदुस्तान में आस्था के इस महापर्व की तस्वीरें पाकिस्तानियों को हैरान परेशान कर रही हैं। मोदी और योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से महाकुंभ मेले की सुरक्षा के इंतजाम देखकर पाकिस्तानी हैरान परेशान हैं। पाकिस्तान में जहां एक तरफ सुरक्षा की समस्या है, वहीं दूसरी तरफ हिंदुस्तान में आस्था के इस महापर्व की सुरक्षा के इंतजाम देखकर पाकिस्तानियों को लगता है कि यह एक सपना है जो कभी पूरा नहीं हो सकता। महाकुंभ मेले की भव्यता और आस्था के इस महापर्व की तस्वीरें पाकिस्तान में हर किसी को हैरान परेशान कर रही हैं। पाकिस्तानी लोग अपने घरों में बैठे इन तस्वीरों को इंटरनेट पर देखकर दंग हैं। सनातन धर्म के इतने रंग देखकर पाकिस्तानियों को लगता है कि यह एक सपना है जो कभी पूरा नहीं हो सकता।
महाकुंभ बनाम पाकिस्तान: एक तुलना जो पाकिस्तान को हैरान परेशान कर रही है!
महाकुंभ में इस साल 45 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है, जो पाकिस्तान की आबादी से भी ज्यादा है। यह आंकड़ा पाकिस्तानियों को हैरान परेशान कर रहा है, खासकर जब वे अपने देश की आर्थिक स्थिति और सामाजिक समस्याओं को देखते हैं। महाकुंभ में तैयारियां जबरदस्त हैं, जिसमें निशुल्क खाना, निशुल्क टेंट, और वीवीआई इंतजाम शामिल हैं। यह देखकर पाकिस्तानियों को लगता है कि यह एक सपना है जो कभी पूरा नहीं हो सकता। पाकिस्तान में आर्थिक संकट और सामाजिक समस्याएं हैं, जहां एक आम पाकिस्तानी को दो जून की रोटी नसीब नहीं है। ऐसे में महाकुंभ की तस्वीरें और आंकड़े पाकिस्तानियों को अपने देश की स्थिति के बारे में सोचने पर मजबूर कर रहे हैं।
महाकुंभ बनाम पाकिस्तान: एक तुलना जो पाकिस्तान को नीचा दिखाती है!
महाकुंभ की भव्यता और पाकिस्तान की तुलना करते हुए, यह कहना उचित होगा कि महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या पाकिस्तान की कुल आबादी से दोगुनी है! जहां पाकिस्तान की कुल आबादी 20 करोड़ है, वहीं महाकुंभ में 45 करोड़ श्रद्धालु आने की उम्मीद है। विमानों की बात करें, तो पाकिस्तान में केवल 31 विमान हैं, जबकि महाकुंभ में 200 चार्टर्ड विमान उतरेंगे! यह पाकिस्तान की विमानन क्षमता की तुलना में एक बड़ा अंतर है।
पुलिस थानों की संख्या की बात करें, तो पाकिस्तान की राजधानी में केवल 13 पुलिस थाने हैं, जबकि महाकुंभ के लिए खासतौर पर 56 थाने बनाए गए हैं! यह पाकिस्तान की कानून व्यवस्था की तुलना में एक बड़ा अंतर है। ट्रेनों की बात करें, तो पाकिस्तान में एक दिन में केवल 228 ट्रेनें चलती हैं, जबकि महाकुंभ के लिए 3 हजार स्पेशल ट्रेनें चलाई जाएंगी! यह पाकिस्तान की रेलवे क्षमता की तुलना में एक बड़ा अंतर है। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि महाकुंभ पाकिस्तान की तुलना में एक बहुत बड़ा और भव्य आयोजन है। यह पाकिस्तान को नीचा दिखाता है और भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक शक्ति को प्रदर्शित करता है।
महाकुंभ बनाम पाकिस्तान: एक तुलना जो पाकिस्तान को झकझोर रही है!
महाकुंभ मेला वास्तव में दुनिया का सबसे बड़ा सम्मेलन है, जहां एक दिन में एक जगह पर करोडों लोग जुटते हैं और 45 दिन के अंदर 45 करोड़ लोगों का जमावड़ा होता है। यह आयोजन सनातन आस्था का प्रतीक है और दुनिया भर में इसकी महत्ता को समझा जाता है। महाकुंभ मेले की भव्यता और इसके पीछे की आस्था को देखकर पाकिस्तानियों में एक अजीब सा सन्नाटा पसर गया है। वे महाकुंभ की तस्वीरें देखकर और इसके आंकड़ों को सुनकर अपने दादा-परदादा को कोस रहे हैं जो 1947 में भारत विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए थे। महाकुंभ मेले की महत्ता को देखकर पाकिस्तानियों को लगता है कि उनका देश इस आयोजन के सामने बौना दिख रहा है। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्ता का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का भी प्रतीक है।

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