नई दिल्ली, 2 जनवरी 2025, गुरुवार। अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख थ्रू द एजेस पुस्तक के विमोचन के दौरान एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि इतिहास हमेशा विशाल और कड़वा होता है, लेकिन अब समय आ गया है कि हम शासकों को खुश करने के लिए लिखे गए इतिहास से मुक्त हो जाएं। उन्होंने भारत के इतिहासकारों से अपील की कि वे हमारे हजारों साल पुराने इतिहास के बारे में लिखें, जो हमारी संस्कृति और सभ्यता को दर्शाता है। उन्होंने यह भी कहा कि इतिहास को सीमित नहीं किया जा सकता, यह हमारे देश की विविधता और समृद्धि को दर्शाता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को ‘J&K and Ladakh Through the Ages’ पुस्तक विमोचन समारोह में कश्मीर के इतिहास और संस्कृति पर कई महत्वपूर्ण बातें कहीं। उन्होंने कहा कि कश्मीर का नाम कश्यप ऋषि के नाम पर रखा गया हो सकता है, जिसका उल्लेख शंकराचार्य के ग्रंथों में मिलता है। अमित शाह ने आगे कहा कि कश्मीर में ही भारत की संस्कृति की नींव पड़ी थी, जिसके प्रमाण सिल्क रूट, हेमिष मठ और अन्य प्राचीन स्थलों से मिलते हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर में सूफी, बौद्ध और शैल मठों ने बहुत अच्छी तरह से विकास किया है। इसके अलावा, अमित शाह ने कहा कि कश्मीरी डोगरी, बालटी और झंस्कारी भाषाओं को शासन की स्वीकृति दी गई है, जिसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का आग्रह था कि कश्मीर की छोटी से छोटी स्थानीय भाषा को जीवित रखना है, जो उनकी कश्मीर के प्रति सोच को दर्शाता है।
धारा 370: अलगाववाद की जड़ और आतंकवाद का पोषण! अमित शाह ने खोले बड़े राज
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक महत्वपूर्ण बयान में कहा है कि धारा 370 और 35ए देश को एक रखने के बजाय अलग करने वाले प्रावधान थे। उन्होंने कहा कि संविधान सभा में इन धाराओं को लेकर बहुमत नहीं था, इसलिए इन्हें अस्थायी रूप से लागू किया गया था। अमित शाह ने आगे कहा कि धारा 370 ने कश्मीर में अलगाववाद की जड़ें मजबूत कीं और युवाओं के बीच अलगाववादी विचारों को बढ़ावा दिया। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि आतंकवाद घाटी में पनपा और फैला, जिससे कश्मीर में आतंक का तांडव फैल गया। हालांकि, अमित शाह ने कहा कि धारा 370 को हटाने के बाद कश्मीर में आतंकवाद में कमी आई है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने धारा 370 को हटाकर कश्मीर के विकास के रास्ते खोल दिए हैं।
कश्मीर का इतिहास: अमित शाह ने खोले बड़े राज, भारत की एकता और सांस्कृतिक विरासत का खुलासा!
अमित शाह ने कहा है कि कश्मीर के इतिहास को पुस्तक के माध्यम से स्थापित करने की कोशिश की गई है। इस पुस्तक में कश्मीर के इतिहास को प्रमाणों के साथ बताया गया है। उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जिसकी सीमाएं सांस्कृतिक परंपरा पर आधारित हैं। इसलिए, कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है। उन्होंने आगे कहा कि भारत को समझने के लिए हमें जियो संस्कृति के कल्चर को समझना होगा। हमें अपने देश के तथ्यों को समझना होगा और उन्हें तोड़-मरोड़कर पेश नहीं करना होगा। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक से यह सिद्ध होता है कि भारत के कोने-कोने में संस्कृति के अंश बिखरे हुए हैं और कई अंश कश्मीर से आए हैं।
कश्मीर का सांस्कृतिक गौरव: अमित शाह ने कहा- कश्मीर भारत का अभिन्न अंग, अलगाववाद की कोशिशें विफल!
अमित शाह ने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, जो हमेशा से रहा है और आगे भी रहेगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने कश्मीर को अलग करने की कोशिश की थी, लेकिन उस बाधा को भी हटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में पाए गए मंदिरों का उल्लेख ‘जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का इतिहास’ पुस्तक में किया गया है, जो यह दर्शाता है कि कश्मीर का भारत से एक अटूट संबंध है। उन्होंने कहा कि लद्दाख में तोड़े गए मंदिर, संस्कृत का कश्मीर में उपयोग और कश्मीर पर आजादी के बाद की गलतियों और उनके सुधार की प्रक्रिया का उल्लेख भी इस पुस्तक में किया गया है।
अमित शाह ने कहा कि हमारे देश के कोने-कोने का इतिहास हजारों साल पुराना है, जहां दुनिया की सभ्यताओं को कुछ देने के लिए काम किए गए। उन्होंने कहा कि परतंत्रता के समय हमें अपने इतिहास को भुलाने का प्रयास किया गया था और एक मिथक प्रचारित किया गया था कि यह राष्ट्र कभी एकजुट नहीं था और स्वतंत्रता का विचार बेमानी है। उन्होंने कहा कि कश्मीर का सांस्कृतिक गौरव हम प्राप्त करेंगे और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नारे को याद करते हुए कहा कि जम्मू और कश्मीर भारत का अंग ही नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का हिस्सा है।
इतिहास की नई परिभाषा: अमित शाह ने कहा- भारत का अस्तित्व भू-सांस्कृतिक, शासकों को खुश करने के लिए इतिहास नहीं लिखा जाएगा!
अमित शाह ने कहा है कि ब्रिटिश शासन के दौरान लिखे गए इतिहास में हमारे देश की परिभाषा गलत थी, जो उनके अज्ञान के कारण हुआ। उन्होंने कहा कि इतिहास को लुटियन दिल्ली में बैठकर नहीं लिखा जा सकता, बल्कि इसके लिए जमीनी स्तर पर जाना और समझना आवश्यक है। उन्होंने आगे कहा कि शासकों को खुश करने के लिए इतिहास लिखने का समय अब समाप्त हो गया है। उन्होंने भारत के इतिहासकारों से अपील की कि वे प्रमाणों के आधार पर इतिहास को लिखें। अमित शाह ने यह भी कहा कि दुनिया के अधिकांश देशों का अस्तित्व भू-राजनीतिक है, लेकिन भारत एकमात्र ऐसा देश है जो ‘भू-सांस्कृतिक’ देश है। उन्होंने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी, गांधार से ओडिशा और बंगाल से असम तक हम अपनी संस्कृति के कारण जुड़े हुए हैं।