प्रयागराज, 29 दिसंबर 2024, रविवार। प्रयागराज कुंभ में एक अनोखे बाबा आकर्षण का केंद्र बन गए हैं। ये बाबा अपने साथ एक 20 किलो की लोहे की चाबी लेकर चलते हैं, जो उनकी पहचान बन गई है। इन्हें लोग ‘चाबी वाले बाबा’ के नाम से जानते हैं। चाबी वाले बाबा का असली नाम हरिश्चंद्र विश्वकर्मा है, जो उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रहने वाले हैं। उनका बचपन से ही आध्यात्म की ओर झुकाव था, लेकिन घरवालों के डर से वो कुछ बोल नहीं पाते थे। आखिरकार, जब वो 16 साल के हुए तो उन्होंने समाज में फैली बुराइयों और नफरत से लड़ने का फैसला कर लिया और घर से निकल गए।
चूंकि हरिश्चंद्र विश्वकर्मा कबीरपंथी विचारधारा के थे, इसलिए लोग उन्हें कबीरा बाबा बुलाने लगे। कबीरा बाबा कई साल से अपने साथ एक चाबी लिए हुए हैं। उस चाबी के साथ ही उन्होंने पूरे देश की पदयात्रा कर ली है। अपनी यात्रा और आध्यात्म के बारे में कबीरा बाबा बताते हैं कि उन्होंने सत्य की खोज की है। लोगों के मन में बसे अहंकार का ताला वह अपनी बड़ी सी चाबी से खोलते हैं। वह लोगों के अहंकार को चूर-चूर कर उन्हें एक नया रास्ता दिखाते हैं।
अब बाबा के पास कई तरह की चाभियां मौजूद हैं और तरह तरह की चाभी लेकर चलते हैं। चाबी वाले बाबा ने अपनी यह यात्रा साइकिल से शुरू की थी और अब बाबा के पास एक रथ बन चुका है, जिसे वो अपने मजबूत बाजू से खींचते हैं। चाबी वाले बाबा स्वामी विवेकानंद को अपना आदर्श मानते हैं। उनका कहना है कि आध्यात्म की ओर पूरी दुनिया भाग तो रही है, लेकिन आध्यात्म कहीं बाहर नहीं है बल्कि वो इंसान के अंदर ही बसा है। उन्होंने अपनी चाबी के बारे में बताते हुए कहा कि इस चाबी में आध्यात्म और जीवन का राज छिपा है, जिसे वह लोगों को बताना चाहते हैं।