नई दिल्ली, 26 दिसंबर 2024, गुरुवार। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन गुरुवार को हो गया। वह 92 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और 2006 में उनकी दूसरी बार बाईपास सर्जरी हुई थी। गुरुवार को उन्हें सांस लेने में तक़लीफ और बेचैनी के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था। उनके निधन पर देश भर में शोक की लहर दौड़ गई है और उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। मनमोहन सिंह की विरासत भारत के आर्थिक विकास और सुधारों में उनके योगदान के रूप में याद की जाएगी।
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के एक गांव में हुआ था। वह एक साधारण पृष्ठभूमि से आए थे, लेकिन उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा, अर्थशास्त्र और राजनीति में असाधारण उपलब्धियां हासिल कीं। उन्होंने अपनी शिक्षा पंजाब विश्वविद्यालय से प्राप्त की, जहां उन्होंने 1948 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद, उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (यूके) से 1957 में अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नफील्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी. फिल की उपाधि अर्जित की।
डॉ. सिंह ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षा के क्षेत्र में की, जहां उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अध्यापन किया। 1971 में, उन्होंने भारत सरकार से जुड़कर वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्य किया। इसके बाद, उन्हें वित्त मंत्रालय का मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त किया गया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमें वित्त मंत्रालय के सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के अध्यक्ष जैसे पद शामिल हैं।
1991 से 1996 तक, डॉ. सिंह भारत के वित्त मंत्री रहे, जहां उन्होंने आर्थिक सुधारों की एक व्यापक नीति लागू की, जिसे विश्वभर में सराहा गया। इन सुधारों ने भारत को आर्थिक संकट से उबारकर एक नई दिशा दी। उन्होंने 2004 के आम चुनावों के बाद 22 मई को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और 2014 तक इस पद पर बने रहे।