अयोध्या, 24 दिसंबर 2024, मंगलवार। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने रामनगरी अयोध्या में अवैध निर्माण पर बड़ा एक्शन लिया है। दो दशक बाद लुप्त हुए पौराणिक कुंड सप्त सागर को विकसित करने के लिए जिला प्रशासन के निर्माणाधीन भवन पर बुलडोजर चलाया गया है। हालांकि, एक परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने यह जमीन 2018 में खरीदी थी और तहसील में रजिस्ट्री और बैनामा कराया गया था। इसके बाद अयोध्या विकास प्राधिकरण चौहद्दी के मुताबिक विकास शुल्क जमा कर नक्शा भी पास किया गया था। यहां तक कि इस जमीन पर भवन निर्माण के लिए बैंक के सर्वे पर आधार पर लोन भी प्राप्त हुआ था। परिवार का आरोप है कि बिना किसी नोटिस के कार्रवाई की गई है, जो उनके अधिकारों का उल्लंघन है। यह मामला अब विवादास्पद हो गया है और इसकी जांच की मांग की जा रही है।
अयोध्या में बुलडोजर की गूंज: सप्त सागर कॉलोनी में अवैध निर्माण पर प्रशासन का बड़ा एक्शन
अयोध्या के सप्त सागर कॉलोनी में रविवार की शाम को एक बड़ी कार्रवाई हुई। एसडीएम सदर विकास दुबे और सीईओ अयोध्या आशुतोष तिवारी दलबल के साथ बुलडोजर लेकर पहुंचे और पटना के रहने वाले विमलेश कुमार का 11000 स्क्वायर फीट में बने बाउंड्री वॉल और संतोष गुप्ता का निर्माणाधीन मकान ढहा दिया गया। आरोप है कि इन निर्माण सप्तसागर कुंड में बने हुए थे। एसडीएम विकास दुबे ने बताया कि गाटा संख्या 67 है, जबकि निर्माण करने वाले व्यक्तियों की जमीन गाटा संख्या 95 में दर्ज है।
दूसरी ओर, संतोष गुप्ता की पत्नी मनीषा गुप्ता का कहना है कि उन्होंने यह जमीन 2018 में खरीदी थी और रजिस्ट्री और दाखिल खारिज भी कराया गया था। विकास प्राधिकरण ने उनकी जमीन का सर्वे कर विभागों के एनओसी प्राप्त होने के बाद भवन निर्माण के लिए स्वीकृति देते हुए नक्शा पास किया था। मनीषा गुप्ता ने सवाल उठाया है कि अगर यह गलत जमीन होती तो यह सभी कानूनी प्रक्रिया किस आधार पर किए गए। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 3 महीने से यह मकान निर्माण का कार्य चल रहा था, लेकिन किसी भी व्यक्ति के द्वारा नहीं नोटिस दिया गया, न ही कोई भी अधिकारी इसकी जानकारी देने आए। इस घटना की जानकारी पर समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री पवन पांडेय भी मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवार से मुलाकात की।
सप्त सागर की महिमा: अयोध्या के पौराणिक कुंड की कहानी और आस्था का केंद्र
अयोध्या के पौराणिक ग्रंथों में सप्त सागर की महिमा का बखान है, जो इस शहर की आस्था और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सप्त सागर का नाम सात सागरों से जुड़ा है, जो इस कुंड की पवित्रता और महत्व को दर्शाता है। इस कुंड का इतिहास महाराजा दशरथ के समय से जुड़ा है, जब जगत जननी मां सीता जी अपने पिता के घर जनकपुरी से ससुराल अयोध्या के लिए चलीं थीं। मां सीता जी ने अपने साथ माता पार्वती की प्रतिक चिन्ह भी साथ लेकर आईं थीं, जो आज भी अयोध्या में स्थित छोटी देवकाली मिथिला धाम में स्थापित हैं।
महाराजा दशरथ ने सप्तसागर के निकट एक मन्दिर बनवाया था, जहां सीता जी और अन्य रानियों के साथ पूजन करने जाया करती थीं। तब से लेकर आज तक, सप्त सागर का यह कुंड अयोध्या के लोगों की आस्था का केंद्र है, जहां लोग पूजन और स्नान करने आते हैं। हालांकि, बीते कुछ वर्ष पूर्व भूमाफिया द्वारा जमीनों की खरीद फरोख्त के बाद एक बड़ी कॉलोनी बसा दी गई, जिससे सप्त सागर का यह पवित्र कुंड खतरे में पड़ गया। लेकिन अब प्रशासन ने इस कुंड को बचाने के लिए बड़ा एक्शन लिया है, जिससे सप्त सागर की आस्था और संस्कृति को बचाया जा सके।