बुलंदशहर, 23 दिसंबर 2024, सोमवार। बुलंदशहर में लगभग 50 साल पुराने एक मंदिर का मामला सामने आया है, जिसे 1990 के दंगों के दौरान बंद कर दिया गया था। इस मंदिर को लेकर हिंदू संगठन ने प्रशासन से दोबारा खोलने की अपील की है, ताकि लोग यहां एक बार फिर से पूजा कर सकें। मंदिर के बारे में लोगों का कहना है कि यह लगभग 50 साल पुराना है और इसकी मूर्तियों को समुदाय के एक परिवार द्वारा नदी में विसर्जित कर दिया गया था। हालांकि, मंदिर का ढांचा अभी भी वैसा का वैसा ही है।
इस मंदिर के पुनरुद्धार के लिए हिंदू संगठनों द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। संगठनों का कहना है कि मंदिर को फिर से खोलने से न केवल हिंदू समुदाय की भावनाओं का सम्मान होगा, बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को भी बढ़ावा देगा। इस मामले में प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही मंदिर को फिर से खोल दिया जाएगा और लोग यहां पूजा करने में सक्षम होंगे।
बुलंदशहर का 50 साल पुराना मंदिर: जाटव समुदाय के लोगों ने छोड़ा था मोहल्ला, अब होगा पुनरुद्धार!
बुलंदशहर में लगभग 50 साल पुराना एक मंदिर है, जो 1990 के दंगों के दौरान बंद कर दिया गया था। इस मंदिर को लेकर हिंदू संगठन ने प्रशासन से दोबारा खोलने की अपील की है, ताकि लोग यहां एक बार फिर से पूजा कर सकें। वहां के एसडीएम ने बताया कि लगभग 30 साल पहले जाटव समुदाय के लोग बुलंदशहर के इस मोहल्ले को छोड़कर चले गए थे। लेकिन अभी भी वहां पर मंदिर का ढांचा उसी तरीके से पूरी तरह सही-सलामत है। साथ ही स्थल को लेकर कोई विवाद भी नहीं है। उन्होंने कहा कि जानकारी मिलने के बाद इस मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है। सलमा हकन नामक इस मोहल्ले में पहले जाटव समुदाय के लोग एक साथ रहा करते थे। वो इस मंदिर में पूजा पाठ करने आते थे।
बुलंदशहर का 50 साल पुराना मंदिर: संभल के बाद अब यहां के लोगों को मिली उम्मीद, जल्द खुलेगा मंदिर!
बुलंदशहर के खुर्जा में स्थित एक पुराने मंदिर का मामला सुर्खियों में आया है, जो लगभग 50 साल पुराना है और 1990 के दंगों के दौरान बंद कर दिया गया था। यह मंदिर संभल में 46 सालों से बंद पड़े शिव मंदिर के मिलने के एक सप्ताह बाद मिला है। इस मंदिर को फिर से खोलने के लिए लोगों ने प्रशासन को प्रार्थना पत्र दिया है, जिसमें उन्होंने पूजा-पाठ करने देने की अनुमति मांगी है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) और जाटव विकास मंच के लोगों ने भी इस मामले को लेकर आवाज उठाई है और अधिकारियों से अपील की है कि इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाए, जिससे कि वहां के लोग एक बार फिर से धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा ले सकें। बता दें, इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि यह लगभग 50 साल पुराना है और इसकी मूर्तियों को समुदाय के एक परिवार द्वारा नदी में विसर्जित कर दिया गया था। लेकिन मंदिर का ढांचा अभी भी वैसा का वैसा ही है और स्थल को लेकर कोई विवाद भी नहीं है।