लखनऊ, 21 दिसंबर 2024, शनिवार। समाजवादी पार्टी के बागी विधायक अभय सिंह के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ की डबल बेंच ने दो विपरीत फैसले सुनाए हैं। वरिष्ठ न्यायमूर्ति ए आर मसूदी ने अभय सिंह को हत्या के प्रयास समेत अन्य आरोपों के मामले में तीन साल की सजा सुनाई, जबकि न्यायमूर्ति अभय श्रीवास्तव ने उन्हें बरी कर दिया। यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि दो जजों की एक पीठ एक ही मामले में अलग-अलग फैसला सुनाना बहुत कम होता है। अब यह मामला इलाहाबाद मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट में जाएगा और मुख्य न्यायाधीश सिंगल बेंच में इस केस को सुनने का निर्देश देंगे।
वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्रा के अनुसार, जब तक सिंगल बेंच में मामले की सुनवाई होकर कोई निर्णय नहीं आता, तब तक मामला विचाराधीन है। इसका मतलब है कि अभी विधायकी पर कोई खतरा नहीं है। हालांकि, अगर सिंगल बेंच में अभय सिंह की सजा 3 साल बरकरार रहती है, तो उनकी विधानसभा की सदस्यता चली जाएगी। लेकिन अगर उन्हें बरी कर दिया जाता है, तो फैसला उनके पक्ष में जाएगा और विधायकी बची रहेगी।
बाहुबली नेता अभय सिंह के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला:
अयोध्या निवासी विकास सिंह ने 2010 में बाहुबली नेता अभय सिंह के खिलाफ हत्या के प्रयास और अन्य आरोपों में मामला दर्ज कराया था। एफआईआर में बताया गया कि विकास सिंह की गाड़ी पर अभय सिंह और उनके साथियों ने फायरिंग कर उन्हें जान से मारने का प्रयास किया। अंबेडकरनगर जिला अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद आरोपियों को बरी कर दिया था। इसके बाद, पीड़ित विकास सिंह ने जिला अदालत के फैसले के खिलाफ 2023 में उच्च न्यायालय लखनऊ में याचिका दाखिल की। मामले में कई सुनवाई के बाद, शुक्रवार को उच्च न्यायालय की खंडपीठ के दोनों न्यायमूर्ति ने विपरीत फैसले सुनाए। वरिष्ठ न्यायमूर्ति ए आर मसूदी ने अभय सिंह को हत्या के प्रयास के मामले में तीन साल की सजा सुनाई, जबकि न्यायमूर्ति अभय श्रीवास्तव ने उन्हें बरी कर दिया। इस फैसले के बाद, यह मामला अब इलाहाबाद मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट में जाएगा, जहां सिंगल बेंच में इस केस को सुनने का निर्देश दिया जाएगा। वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्रा के अनुसार, जब तक सिंगल बेंच में मामले की सुनवाई होकर कोई निर्णय नहीं आता, तब तक मामला विचाराधीन है।
बागी विधायक अभय सिंह: विवादों से घिरा राजनीतिक सफर और बीजेपी के साथ नई शुरुआत!
अभय सिंह एक भारतीय राजनेता हैं जिन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) से की थी, लेकिन बाद में वे समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल हो गए। उन्होंने 2022 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की आरती तिवारी को 13,000 वोटों से हराकर दूसरी बार विधायक बने। इससे पहले, 2012 में उन्होंने आरती तिवारी के पति और बाहुबली नेता खब्बू तिवारी को हराया था।
अभय सिंह को माफिया मुख्तार अंसारी का करीबी माना जाता है। उनका राजनीतिक सफर लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति से शुरू हुआ और मुख्तार अंसारी के संरक्षण में आगे बढ़ा। हालांकि, उनका नाम कई विवादों में भी घिरा रहा है, जिनमें लखनऊ के जेलर आरके तिवारी की हत्या के मामले और लखनऊ जेल में खब्बू तिवारी से उनका विवाद शामिल है। इसके अलावा, मऊ विधायक कृष्ण नंद राय की हत्या में भी उनका नाम चर्चा में आया था।
हाल ही में, अभय सिंह ने राज्यसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से बागी तेवर अख्तियार करते हुए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को मतदान किया, जिससे वे बीजेपी के करीब आ गए और उन्हें केंद्र से केंद्रीय पुलिस फोर्स की सुरक्षा मिल गई।