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Thursday, December 19, 2024

वाराणसी के मुस्लिम बाहुल्य इलाके का रहस्यमय मंदिर: 300 साल पुराना मंदिर क्यों है विवादों में?

वाराणसी, 19 दिसंबर 2024, गुरुवार। वाराणसी के मुस्लिम बाहुल्य इलाका मदनपुरा में एक 300 साल पुराना मंदिर सुर्खियों में है। यह मंदिर एक कोठी के अंदर मौजूद है और इसके दरवाजे पर सालों से ताला बंद है। सनातन रक्षक दल मंदिर का ताला खोलने पर अड़ा है, जबकि मुस्लिम समुदाय मंदिर खोलने के विरोध में है। मकान में रहने वालों का कहना है कि मंदिर को 80-100 साल से बंद ही देख रहे हैं। इसमें किसी देवी-देवता की प्रतिमा या शिवलिंग नहीं है। हालांकि, हिन्दू पक्ष का दावा है कि यह मंदिर लगभग 300 साल पुराना है और यहां स्थापित शिवलिंग उससे भी पुराना है। इस मंदिर को लेकर प्रशासन का रुख स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह मंदिर अब सुर्खियों में है और इसके खुलने की मांग उठने लगी है।
वाराणसी की गलियों में छुपा है एक रहस्यमय इतिहास: मदनपुरा की कहानी
वाराणसी की गलियों में हर कदम पर भगवान शंकर की उपस्थिति महसूस की जा सकती है। इस शहर की प्राचीनता और इतिहास को समझने के लिए मदनपुरा मोहल्ले की कहानी जानना आवश्यक है। मदनपुरा मोहल्ला वाराणसी के प्राचीन मोहल्लों में से एक है, जिसे सेठ मदनपाल सिंह के नाम पर बसाया गया था। यह मोहल्ला बनारसी साड़ी कारोबारियों का केंद्र है, जहां मिश्रित आबादी रहती है। हिन्दू वर्ग में बंगाली समाज के कई घर हैं, जबकि 70 फीसदी मकान मुस्लिम समुदाय के हैं। इतिहासकारों की माने तो इस क्षेत्र में गंगा स्नान से लौटने वाले लोग गलियों में मंदिरों को जलाभिषेक करते थे और फिर अपने गंतव्य को जाते थे। बंगाली टोला की सराय या धर्मशालाओं में ठहरने वाले मदनपुरा के इसी मोहल्ले से दशाश्वमेध, केदार या अन्य घाटों तक जाते थे। पुरोहित इस क्षेत्र को सिद्धेश्वर और पुष्पदन्तेश्वर तीर्थ का नाम देते हैं। मदनपुरा मोहल्ले की यह कहानी वाराणसी की प्राचीनता और इतिहास को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण अध्याय है।
अपनी बात को पुष्ट करने के लिए सनातन रक्षक दल के पंडित अजय शर्मा स्कन्द पुराण के काशी खंड में वर्णित श्लोक का जिक्र करते हैं। वह श्लोक भी पढ़कर सुनाते हैं-
तदग्निदिशि देवर्षिगणलिङ्गान्यनेकशः। पुष्पदन्ताद्दक्षिणतः सिद्धीशः परसिद्धिदः ॥
(पुष्पदन्तेश्वर) उनसे अग्निकोण पर देवता और ऋषिगण के स्थापित बहुतेरे लिंग विराजमान हैं। उक्त पुष्पदन्तेश्वर से दक्षिण परमसिद्धिप्रद सिद्धीश्वर हैं और विधिपूर्वक इनकी पूजा करने से कई फल मिलते हैं।
पञ्चोपचारपूजातः स्वप्ने सिद्धिं परां दिशेत् । राज्यप्राप्तिर्भवेत्पुंसां हरिश्चन्द्रेशसेवया॥
यदि कोई उनकी पंचोपचार से पूजा करे तो उसे वे स्वप्न में परमसिद्धि को जता देते हैं। हरिश्चन्द्रेश्वर की पूजा और आराधना करने से लोगों को राज्य का लाभ होता है, यह राजयोग को मजबूत करते हैं।
वाराणसी का बंद शिव मंदिर: 300 साल पुराने मंदिर का ताला खुलवाने की मुहिम में जुटे अजय शर्मा
सनातन रक्षक दल के अजय शर्मा ने दावा किया है कि वाराणसी के मदनपुरा में एक 300 साल पुराना शिव मंदिर है, जो कि वर्तमान में बंद है। उनका कहना है कि इस मंदिर का जिक्र पुराणों में भी है और इसकी तस्वीरें पुस्तकों में भी मौजूद हैं। अजय शर्मा का दावा है कि शिवलिंग मिट्टी में दबा हुआ है और अगर अंदर शिवलिंग नहीं मिला तो यह माना जाएगा कि किसी ने शिवलिंग को चोरी या क्षतिग्रस्त कर दिया है। इस मामले में अजय शर्मा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप करने और मंदिर का ताला खुलवाने की मांग की है।
वाराणसी के मदनपुरा में बंद शिव मंदिर: मुस्लिम समुदाय का विरोध, क्या है इस मंदिर का रहस्य?
बता दें, वाराणसी के मदनपुरा में एक 300 साल पुराना शिव मंदिर है, जो कि वर्तमान में बंद है। इस मंदिर को लेकर स्थानीय लोगों और मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच मतभेद हैं। कोठी में रहने वाले मोहम्मद इमराम और मोहम्मद अल्ताफ ने मंदिर खोले जाने का विरोध किया है। उनका कहना है कि यह उनकी प्रॉपर्टी का हिस्सा है और उन्हें मंदिर होने से कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके पूर्वजों ने जो मकान लिया है, उसके धार्मिक पक्ष को उन्होंने कभी प्रभावित नहीं किया है। कारोबारी खालिद जमाल ने बताया कि वह 45 साल से मंदिर को देख रहे हैं और यह तभी से बंद पड़ा है। इसकी मिलकियत ताज खान परिवार के पास है, जो यहां पर करीब 150 सालों से रह रहा है। स्थानीय लोगों की माने तो 70-75 साल की उम्र में किसी ने इसको कभी खुलते नहीं देखा। यह हमारे बाप-दादा के जमाने से बंद है।
वाराणसी का छुपा हुआ शिव मंदिर: 300 साल पुराना मंदिर का रहस्य क्या है?
वाराणसी के मदनपुरा में एक 300 साल पुराना शिव मंदिर है, जो कि वर्तमान में बंद है। इस मंदिर के गर्भगृह में कई फीट मिट्टी भरी हुई है, जिससे अंदर के स्थान को देखना मुश्किल है। लोग शिवलिंग को पौराणिक मान रहे हैं और इस मंदिर के बगल में सिंह कूप को भी खोज लिया गया है। श्री काशी विद्वत परिषद जल्द ही वहां प्रतिनिधिमंडल भेजकर स्थानीय निरीक्षण कराएगी और सरकार से नियमित राग भोग और दर्शन-पूजन की व्यवस्था की मांग करेगी। वहीं, एडीएम आलोक वर्मा ने एक सप्ताह में दस्तावेजी जांच के बाद कोई फैसला लेने की बात कही है।
वाराणसी के मदनपुरा का एक पुराना रहस्य: बंगाली रियासत का मकान और एक बंद मंदिर की कहानी
वाराणसी के मदनपुरा में एक पुराना मकान है, जिसका इतिहास बंगाल की रियासत से जुड़ा हुआ है। यह मकान पहले राय साहब का था, जो कि बनारसी साड़ी और अन्य कारोबार के लिए उपयोग किया जाता था। बाद में यह मकान मो. ताज खान उर्फ ताज बाबा के हाथों में आया, जिन्होंने यहां पर बनारसी साड़ी का कारोबार शुरू किया। ताज बाबा के परिवार ने इस मकान में कई पीढ़ियों तक रहकर कारोबार किया। समय के साथ, मकान का बंटवारा हो गया और अब यहां पर कई परिवार रहते हैं। लेकिन एक बात जो यहां पर ध्यान देने योग्य है, वह यह है कि मकान के बाहर एक पुराना मंदिर है, जो कि कई सालों से बंद पड़ा है।
वाराणसी के बंद मंदिर का रहस्य: प्रशासन ने शुरू की जांच, जल्द होगा फैसला
वाराणसी में एक पुराना मंदिर है, जो वर्तमान में बंद है। मंदिर के गेट पर ताला लगा हुआ है और इसके मालिकाना हक के बारे में कोई जानकारी नहीं है। प्रशासन की टीम मौके पर जांच कर रही है और जल्द ही स्थिति स्पष्ट होगी। एडीएम सिटी आलोक वर्मा ने बताया कि हिंदू पक्ष के लोगों को समझाया गया है और इस मामले में जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह बाद मंदिर के खुलने के बारे में आदेश दिया जाएगा। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि मंदिर की डिटेल जुटाने के लिए प्रशासन को 2 दिन का समय दिया जाए।

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