प्रयागराज, कानपुर निवासी प्रदीप कुमार, जिन पर 2002 में पाकिस्तानी जासूस होने का गंभीर आरोप लगा था, अब इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद जज बनने की राह पर हैं। प्रदीप पर देशद्रोह का आरोप लगाकर उन्हें गिरफ्तार किया गया था, और उन्होंने कई साल जेल में बिताए।
हालांकि, 2014 में अदालत ने उन्हें बरी कर दिया, लेकिन उनकी नियुक्ति को लगातार टाला गया। 2016 में यूपी उच्च न्यायिक सेवा परीक्षा में 27वीं रैंक लाने के बावजूद उन्हें जॉइनिंग लेटर नहीं दिया गया। अब हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि राज्य के पास उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है और उनका मुकदमे में बरी होना सम्मानजनक था।
प्रदीप पर आरोप था कि उन्होंने एक शख्स के कहने पर पैसे के बदले संवेदनशील जानकारी साझा की थी, लेकिन अदालत में यह साबित नहीं हो सका।
हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार, उनकी नियुक्ति की सभी औपचारिकताएं 15 जनवरी 2025 तक पूरी की जाएंगी। प्रदीप का यह संघर्ष, जिसमें देशद्रोह का कलंक और न्याय के लिए लंबी लड़ाई शामिल है, किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है।