वाराणसी, 14 दिसंबर 2024, शनिवार। प्रयागराज और काशी के बीच ऐतिहासिक संबंध को मजबूत करने के लिए, काशी के कारीगरों ने एक विशेष गमछा तैयार किया है, जिसमें महाकुंभ की पूरी गाथा को दर्शाया गया है। यह गमछा काशी से प्रयागराज भेजा जाएगा और पहले एक हजार गमछे साधु-संतों के बीच मुफ्त बांटे जाएंगे। इसके बाद, इसे सनातन धर्म के प्रचार के लिए बिना किसी लाभ के, लागत मूल्य पर कुंभ क्षेत्र में वितरित किया जाएगा।
इस दुपट्टे में महाकुंभ की उत्पत्ति और समुद्र मंथन के चित्रण के साथ-साथ महाकुंभ से जुड़े प्रमुख घटनाओं को भी दर्शाया गया है। इस खास दुपट्टे की डिजाइन को तैयार करने में महीनों की रिसर्च और मेहनत लगी है। सौम्या यदुवंशी, जिन्होंने इस दुपट्टे का डिजाइन तैयार किया है, बताते हैं कि यह पहला गमछा है जिसमें समुद्र मंथन और महाकुंभ के लोगों को शामिल किया गया है। यह गमछा न केवल कारीगरी का उदाहरण है, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को भी सम्मानित करता है।
महाकुंभ की कथा वाला विशेष दुपट्टा
बनारसी कपड़ा उद्योग की विश्व प्रसिद्धि को और भी बढ़ावा देने के लिए, काशी के कारीगर महाकुंभ के लिए विशेष दुपट्टे तैयार कर रहे हैं जो सनातन धर्म का प्रचार करेंगे। इस दुपट्टे को तैयार करने के लिए पहले कंप्यूटर पर डिज़ाइन तैयार किया गया और फिर इसे कॉटन कपड़े पर छापा गया। इस दुपट्टे को अंकित और विकास द्वारा तैयार किया गया है। विकास बताते हैं कि इस दुपट्टे में महाकुंभ की पूरी कथा को दर्शाया गया है और यह व्यापार के लिए नहीं बल्कि सनातन धर्म के प्रचार के लिए तैयार किया गया है। दुपट्टे की लागत 80 रुपये रखी गई है, जिससे यह आम लोगों के लिए भी सुलभ हो सके।
महाकुंभ में अनोखी पहल: बनारसी दुपट्टे का वितरण
बनारसी साड़ी बेचने वाले गद्दीदार इस अनोखी पहल में जुटे हैं, जिसमें वे महाकुंभ के लिए विशेष दुपट्टे तैयार कर रहे हैं और उन्हें प्रयागराज तक पहुंचाने का जिम्मा उठा रहे हैं। इस पहल के तहत, पहले 1000 दुपट्टे संतों के बीच मुफ्त बांटे जाएंगे, और फिर बिना किसी लाभ के पहले 15,000 दुपट्टे लागत मूल्य पर प्रयागराज भेजे जाएंगे। यह सिलसिला पूरे महाकुंभ के दौरान जारी रहेगा।