नई दिल्ली, 12 दिसंबर 2024, गुरुवार। सुप्रीम कोर्ट ने उपासना स्थल अधिनियम, 1991 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए एक महत्वपूर्ण निर्देश दिया है। अदालत ने कहा है कि जब तक इन याचिकाओं का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक देश में इस कानून के तहत नए मुकदमे दर्ज नहीं किए जाएंगे। इसका मतलब है कि अब मस्जिदों पर दावे वाले नए केस दाखिल नहीं होंगे।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस एक्ट के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना हलफनामा दाखिल करे। अदालत ने केंद्र को चार सप्ताह में याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने को कहा है।
उपासना स्थल अधिनियम, 1991 के अनुसार, 15 अगस्त, 1947 को विद्यमान उपासना स्थलों का धार्मिक स्वरूप वैसा ही बना रहेगा, जैसा वह उस दिन था। यह किसी धार्मिक स्थल पर फिर से दावा करने या उसके स्वरूप में बदलाव के लिए वाद दायर करने पर रोक लगाता है।
इस मामले की सुनवाई विभिन्न अदालतों में दायर कई मुकदमों की पृष्ठभूमि में होगी, जिनमें वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद और संभल में शाही जामा मस्जिद से संबंधित मुकदमे शामिल हैं। इन मामलों में दावा किया गया है कि इन स्थलों का निर्माण प्राचीन मंदिरों को नष्ट करने के बाद किया गया था और हिंदुओं को वहां पूजा करने की अनुमति दिए जाने का अनुरोध किया गया है।